खाने के साथ खेल में भी मम्मी ने दिखाए हाथ, बच्चों के साथ खूब मच रही धमाचौकड़ी

अंकिता भारद्वाज, पटना। एक तो स्कूल और कॉलेज में छुट्टी, घर में पापा और मम्मी का भी ऑफिस से अवकाश। ऐसे में घर में पार्टी टाइम हो भी क्यों ना। लॉकडाउन के कारण किसी का भी कहीं निकलना मुश्किल हो गया है। ऐसे में घरों में परिवार के साथ मस्ती करने का मौका अगर मिल रहा है तो कोई भी पीछे नहीं हटना चाह रहा। पेश है रिपोर्ट।

परिवार के साथ गुजर रही शाम
राजाबाजार की रहने वाली दिव्या और उनकी बेटी आकांक्षा को लगभग पांच महीने के बाद साथ बैठकर बातें करने और मस्ती करने का समय मिला है। दिव्या बताती हैं कि वो एक प्राइवेट स्कूल की डायेक्टर हैं। उनका सारा दिन स्कूल और स्कूल के काम में ही चला जाता है। वहीं बेटी भी मेडिकल की पढ़ाई कर रही है तो वो भी आधा समय कोचिंग और अपने पढ़ाई में ही लगी रहती है। इसके कारण हमें आराम से बैठकर बातें करने का मौका कभी-कभी ही नसीब होता है। लेकिन अभी जो लॉकडाउन हुआ है, उसके कारण इनके परिवार को पूरा दिन एक साथ बिताने को मिल रहा है। सभी साथ बैठकर लूडो भी खेल रहे हैं और अपनी पसंद की चीजें भी बनाकर एक-दूसरे को खुश कर रहे हैं।
बेटी को है हेयर-स्टाइल का शौक
कुम्हरार की रहने वाली पूजा शर्मा का अपना एक ब्यूटीपार्लर है, जिसमें वो अपना पूरा दिन देती हैं और वहां से घर आने के बाद वो इतना थक जाती थी कि अपने बच्चे को वो समय नहीं दे पाती थीं, जो वो हमेशा से देना चाहती थीं। लेकिन अचानक से हुए लॉक डाउन के कारण परिवार के साथ वो अपना पूरा समय दे रही हैं और अपने और परिवार के लोगों के सारे शौक भी पूरे कर रही हैं। पूजा बताती हैं कि उनकी बेटी रिद्धी को उनके हाथ से अपने बाल झड़वाना बहुत पसंद है, लेकिन काम से फुरसत कम होने के कारण वो रोज ऐसा नहीं कर पाती थीं, लेकिन अभी उनकी बेटी जैसे बाल के स्टाइल को बनाने के लिए बोलती है वो बिना किसी देरी के उसकी इच्छा पूरी कर देती हैं।
बेटे को खाने की तैयार की है लिस्ट
कंकड़बाग की रहने वाली प्रीति के बेटे वंश को उनके हाथ के बने हुए परवल की सब्जी बहुत ज्यादा पसंद है। लेकिन घर में काम करने का मौका बहुत ही कम मिलता था। कई बार तो घर के बाकी लोगों ही खाना बना देते हैं। इसके कारण मुझे किचन में जाने का मौका बहुत कम मिलता था। काम से आने के बाद फिर बेटे की पसंद को पूरा करने में थोड़ी परेशानी जरूर होती थी। मेरी छुट्टी से मेरा बेटा ज्यादा खुश है। उसने एक लिस्ट तैयार की है जिसमें उसको कब और क्या मेरे हाथों का खाना है, जैसे सुबह में परवल की सब्जी तो रात में पास्ता और कई सारे डिश की डिमांड तैयार है।
मम्मी की शुरू हुई है पाठशाला
बोरिंग रोड की रहने वाली नेहक जैन अपनी दोनों बेटियों आशिका जैन और स्वस्ति जैन के कोर्स को पूरा करने में अभी से ही लग गई हैं। नेहक का कहना है कि वो अपना व्यापार करती है, जिसके कारण वो घर में और बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पाती थी। इसलिए अब जो भी छुट्टी मिली है उसमें मेरी पूरी कोशिश है कि मैं उन्हें खुद से पढ़ाई करवाउं और जो भी उन्हें पढ़ाई या जिस भी टॉपिक में परेशानी है, उसको सॉल्व करके उनकी पढ़ाई में जितनी ज्यादा हो सके, उनकी मदद कर उनका कोर्स पूरा करवा दूं। ताकि छुट्टी के बाद जो स्कूल खुले तो उन्हें कोई परेशानी ना हो।

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