मनभावन बनें अपने प्रियतम की

वैसे तो हर इंसान की इच्छा रहती है कि वह अपने पार्टनर का मनभावन बन कर रहे। जिसके साथ पूरा जीवन साथ बिताना हो, उसका मनभावन बनना तो अति आवश्यक हो जाता है। आप भी ऐसे बनें अपने प्रियतम की पसंद, कुछ आम, कुछ खास बातों का ध्यान रखते हुए।

- पति की जरूरत का ध्यान रखें। उन्हें यह मौका न दें कि आप उनके प्रति या उनकी जरूरतों के प्रति लापरवाह हो गई हैं।
- पति जब नौकरी या व्यवसाय के लिए बाहर जा रहे हों तो उन्हें मुस्करा कर भेजें। काम पर जाने से पहले उनके कपड़े, रूमाल, जुराबें-अंतर्वस्त्र पहले तैयार रखें। शाम या रात जब भी पति घर आये तो प्यार से उनका स्वागत करें। दिन भर का रोना-धोना आते ही उन्हें न सुनायें।
- काम से लौटने पर उनका स्वागत, उनकी इच्छानुसार और मौसम अनुसार करें। शाम को चाय के साथ नाश्ते के बदलाव पर भी ध्यान दें।
- अपने प्रियतम की भावनाओं की कद्र और ध्यान रखना तो आपका ही फर्ज है। कोई दूसरा यह काम नहीं कर सकता। कोई भी चुभती हुई बात गुस्से में न बोलें जिससे उनके दिल को ठेस लगे।
- सप्ताह में दो-तीन बार प्रियतम की पसंद का भोजन बनायें।
- अपना कोई भी फैसला सुनाने से पहले प्रियतम की इच्छा भी जान लेनी चाहिए। उसके बाद उचित फैसला करना हितकर है।
- अपने प्रियतम की जो बातें अच्छी लगें, उनकी प्रशंसा करने में कंजूसी न बरतें। उनके द्वारा किए अच्छे कार्यों की कद्र करें।
- उनके और अपने सगे संबंधियों के रिश्तों में किसी भी तरह से परिवार या आपसी संबंधों में दरार न आये, इस बात का विशेष ध्यान रखें।
- प्रिय की तुलना किसी अन्य व्यक्ति से न करें। इससे कई प्रकार की गलतफहमियां जन्म ले सकती हैं। परपुरूष की प्रशंसा भूल कर भी न करें।
- प्रियतम की कुछ आदतें आपको अधिक पसंद नहीं हैं तो उन्हें लेकर झगड़ा न करें। धैर्य और शान्ति से धीरे-धीरे सुधारने का प्रयास करें।
- अगर प्रियतम की बहुत इच्छा हो कि काम छोड़कर उनके साथ समय बितायें या बातें करें, जब तक कुछ आवश्यक कार्य में न उलझी हों, कोशिश करें कि उनके लिए समय अवश्य निकालें। कुछ पल का साथ उनके लिए 'बूस्ट' का काम करेगा।
- अपने मधुर और शीतल स्वभाव से उन्हें हमेशा प्रसन्न रखने का प्रयास करें।
- काम निबटाकर अधिक से अधिक समय अपने पार्टनर के साथ बितायें। फिजूल के टी. वी. प्रोग्राम न देखें, न ही उनके आने पर पड़ोसियों के घर बतियाने चली जायें।
- यदि प्रियतम को घर के काम करवाने में मजा न आ रहा हो तो उनके पीछे मत पड़ें, खीझें भी नहीं। जितना काम आप खुशी से निपटा सकती हैं, निपटा लें। जो काम रह जाये, उसे अगले दिन की दिनचर्या में डाल दें। प्रियतम के सुखों में भागीदार बनने का प्रयास करते हुए आप दु:खों की भागीदारी को नजरअंदाज न करें। कभी शारीरिक, मानसिक या आर्थिक कष्ट आने पर अपने अच्छे क्रि याकलापों से उनके मन को उत्साहित करती रहें।
- सुनीता गाबा

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