जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन से वायु प्रदूषण में रिकॉर्ड कमी, खुली हवा में सांस ले रहे लोग

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर बीते रविवार को हुए जनता कर्फ्यू से वायु प्रदूषण में रिकॉर्ड कमी दर्ज की गई है। मंगलवार रात पीएम मोदी द्वारा पूरे देश में लॉकडाउन का भी वायु प्रदूषण कम करने में बड़ा असर होने की उम्मीद है। ऐसे में लोग खुली और स्वच्छ हवा में सांस ले पा रहे हैं। सेंटर फॉर रिसर्च फॉर एनर्जी द्वारा जारी एक विश्लेषण के अनुसार रविवार को राष्ट्रव्यापी जनता कर्फ्यू के दौरान जनवरी-मार्च की अवधि में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) का औसत निम्नतम स्तर दर्ज किया गया है, जो कि साल 2017 के बाद से पहली बार हुआ है।

केंद्र के विश्लेषक सुनील दहिया के अनुसार, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के स्तर में इस गिरावट से पता चलता है कि शहरों की परिवहन पूरी तरह से फॉस्सिल फ्यूल यानी जीवाश्म ईंधन पर निर्भर है। उन्होंने कहा, 'हमें डीलिंक पर ध्यान देना होगा और लॉकडाउन से हमारा यही सबक होगा। मालूम हो कि जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन की वजह से सड़कों पर गाड़ियों की संख्या काफी कम है। इससे प्रदूषण भी कम हुआ है। पिछले साल की तुलना में पीएम 2.5 का स्तर देखा जाए तो यह भी 26 फीसदी तक कम हुआ है। वायु प्रदूषण पर काम करने वाली संस्था सफर ने भी ये स्टडी जारी की है। साथ ही पीएम 10 की सांद्रता में भी तेजी से गिरावट आई है।
आईआईटी, कानपुर की एक स्टडी के अनुसार, पीएम 2.5 में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की अहम भूमिका होती है। NO2 उत्सर्जन का मुख्य स्रोत वाहनों और कल-कारखानों में ईंधन का प्रयोग है। NO2 उत्सर्जन भारत में बड़ी संख्या में चाइल्ड अस्थमा का कारण बनता है और हर साल समय से पहले 16,000 मौतों का जिम्मेदार है।
सुनील दहिया ने कहा कि कोरोना संकट दुनियाभर में बहुत बड़ी मानवीय पीड़ा है। दुनियाभर में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में भी कमी आनी चाहिए। कोरोना संकट खत्म होने के बाद सरकारों को चाहिए कि भारी प्रदूषण वाले कल कारखानों को बंद कर वायु प्रदूषण कम करने वाली इस व्यवस्था को लागू किया जाए। उत्सर्जन मानकों का निर्धारण और सख्ती से उसका पालन हो।
मालूम हो कि चीन के कुछ हिस्सों जहां महामारी फैली थी, वहां भी लॉकडाउन के दौरान NO2 का स्तर काफी नीचे चला गया, और फिर धीरे-धीरे पिछले कुछ दिनों में जब प्रतिबंधों में ढील दी गई, तो फिर से इसकी मात्रा बढ़ गई। वहीं, भारत के कई शहरों में भी हवा की गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया गया है।न केवल दिल्ली, बल्कि मुंबई, पुणे और बेंगलूरू में वायु प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है। ईंधन कम जलने की वजह से NO2 में 60 से 80 फीसदी, पीएम 10 के स्तर में 15 से 20 फीसदी और पीएम 2.5 के स्तर में 30 से 40 फीसदी की कमी आई है। सीपीसीबी के एयर इंडेक्स के मुताबिक मंगलवार को दिल्ली का एक्यूआई 122, गाजियाबाद का एक्यूआई 166, गुरुग्राम में 127, ग्रेटर नोएडा में 178 और नोएडा में यह 130 रहा।

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