अगर आपके साथ भी रोज होती हैं ये चीजें,तो जान ले ये बातें

कई बार हमारा मन नहीं लगता है। हम बेचैन से रहने लगते है। लगातार ऐसा हो रहा है, तो आप इसे गंभीरता से लें। अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है। इसे कार्यशैली या जीवनशैली से जोड़कर नजरअंदाज न करें। भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद पर ध्यान न देने की आदत, हमें अंदर ही अंदर बीमार बना रही होती है।

अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर:
# इस बीमारी को 'साइलेंट डिसऑर्डर' भी कहा जाता है, क्योंकि लोग इनके लक्षणों को कामकाज या जीवनशैली का हिस्सा मानकर नजरअंदाज करते रहते हैं। बीमारी तब पकड़ में आती है, जब समस्या ज्यादा बढ़ जाती है।
# जुड़वा और पारिवारिक अध्ययनों से पता चला है कि अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर का जोखिम वैसे लोगों को ज्यादा होता है, जिनके रिश्तेदार (जैसे माता-पिता, भाई या बच्चे) इस रोग से पीड़ित हैं।
# बचपन या अन्य आघात में दुर्व्यवहार (शारीरिक या यौन) का सामना करने वाले लोगों में इसका जोखिम अधिक होता है। ज्यादातर लोगों को समस्या रहती है कि वह छोटी-छोटी चीजों को जल्दी भूल जाते हैं।
# कुछ दिन तक यह समस्या बनी रहे, तो कोई डरने की बात नहीं है। अगर यह दिक्कत लंबे समय से है, तो यह अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर के लक्षण हैं। इसके अलावा अगर अक्सर बिना किसी कारण के रोने का मन करता है, अपने शौक के प्रति रुझान कम हो जाता है, रातों को नींद नहीं आती।

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