कोरोना वायरस: IIT दिल्ली ने किल्लत को देख बनाया 50 लीटर हैंड सैनिटाइजर

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। देश में कोरोना वायरस (coronavirus) के चलते आवश्यक वस्तुएं मॉस्क (Mask) और हैंड सैनिटाइजर (Sanitizer) की कमी हो गई है। लोग कोरोना के महामारी घोषित होते ही लोग बाजारों में टूट पड़े दुकानदारों ने भी कीमतें बढ़ा चढ़ाकर लीं। इस कमी से निपटने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी) दिल्ली ने एक नया तरीका खोज निकाला।

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हैंड सैनिटाइजर खरीदना मुश्किल हो रहा मुश्किल उन्होंने अपनी प्रयोगशाला में बड़ी मात्रा में हैंड सैनिटाइजर तैयार किये जिसे मामूली दामों में अन्य विभागों व लोगों को मुहैया कराया जा रहा है। आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. वी राम गोपाल राव ने कहा कि किल्लत के चलते संस्थान को बड़ी मात्रा में हैंड सैनिटाइजर खरीदना मुश्किल हो रहा था। विक्रेता अत्यधिक मात्रा में उसका चार्ज मांग रहे थे। इतना ही नहीं बाजारों में उपलब्ध कुछ हैंड सैनिटाइजर्स की गुणवत्ता भी संदिग्ध थी।
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दो दिन में बना 50 लीटर हैंड सैनिटाइजर राव ने कहा ऐसी स्थिति में मैने अपने रसायन विज्ञान के प्रोफेसरों से बात की। उनसे पूछा कि क्या ऐसी स्थिति में संस्थान के लिए कुछ हैंड सैनिटाइजर्स बनाये जा सकते हैं । आईआईटी प्रोफेसर ने कहा कि यह काम हमारे यहां के तकनीकी कर्मचारी भी कर सकते हैं।अगले दो दिन में संस्थान की प्रयोगशाला में 50 लीटर हैंड सैनिटाइजर बना लिया गया।
आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसरों ने प्रमाणित किया सैनिटाइजर राव ने इसपर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की जिसमें उन्होंने कहा कि संस्थान में बना हैंड सैनिटाइजर डब्ल्यूएचओ के मानक का है इसे आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसरों ने प्रमाणित किया है। इसे मामूली दामों में दिया जा रहा है। बाद में आईआईटी दिल्ली की वेबसाइट पर सैनिटाइजर का विवरण भी जारी किया गया। जिसके अनुसार एलोवेरा के साथ 3 रसायनों को इसे बनाने में इस्तेमाल किया गया है जिसमें प्रमुख घटक आइसोप्रोपिल अल्कोहल (75%) है।
30 सेकेंड तक हाथो पर मलने से अच्छे परिणाम प्रोफेसर अनिल जे इलियास रसायन विभाग प्रमुख आईआईटी दिल्ली ने इस पर कहा कि 70 फीसद अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर को ही हाथों पर रगड़ने से छोटे-छोटे जीवाणुओं को मारा जा सकता है। इसे 30 सेकेंड तक हाथो पर मलने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।
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