अचानक डर, घबराहट और बैचेनी होती है, तो पैनिक अटैक के शिकार हो सकते हैं आप, जानिए क्या है यह डिसऑर्डर

अचानक डर लगने लगे, दिल की धड़कन तेज हो जाए, पसीना छूटने लगे, सांस फूल जाए और ऐसा महसूस हो कि जैसे दिल का दौरा पड़ रहा है या मरने वाले हैं। यह पैनिक अटैक के लक्षण हैं जो कि किसी चेतावनी के बिना ही अचानक शुरू हो जाते हैं। इसके बाद थकान महसूस होती है। www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. उमर अफरोज का कहना है कि पैनिक अटैक अचानक डर लगने की भावना है जो गंभीर शारीरिक प्रतिक्रियाएं देती है, भले ही आसपास कोई वास्तविक खतरा या कोई कारण नहीं होता है। ये पैनिक अटैक तीन तरह के होते हैं। पहला अप्रत्याशित पैनिक अटैक जिसमें बिना किसी चेतावनी या संकेत के होते हैं और यह किसी परिस्थित से जुड़े नहीं होते हैं। दूसरा प्रकार स्थितिगत पैनिक अटैक है जो किसी वजह से या किसी स्थिति के कारण होते हैं। स्थितिगत संवेदनशील पैनिक अटैक भी किसी परिस्थिति से जुड़ा होता है, लेकिन जरूरी नहीं कि उसके तुरंत बाद हो। यह किसी स्थिति के संपर्क में आने के आधे घंटे बाद तक शुरू हो सकते हैं। पैनिक अटैक के कारणों की बात की जाए तो यह अत्यधिक तनाव, नकारात्मक भावनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील स्वभाव, आनुवंशिकता के कारण हो सकते हैं। किसी करीबी की मृत्यु या गंभीर बीमारी, कोई गंभीर दुर्घटना, तलाक जैसी स्थिति, बचपन में शारीरिक या यौन शोषण झेलना जोखिम को बढ़ा सकते हैं।पैनिक अटैक से बचाव की बात की जाए तो इसके कोई निश्चित तरीके नहीं है। लेकिन जितना जल्दी हो इसका इलाज लेना आवश्यक है। तनाव से बचने के लिए नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां जरूरी हैं। इसका इलाज का लक्ष्य इस विकार के लक्षणों को कम करना या खत्म करना होता है जो कि थेरेपी या कुछ मामलों में दवाओं के जरिए किया जाता है।पैनिक अटैक के कारण फोबिया, डिप्रेशन, सुसाइडल टेडेंसी भी हो सकती है। यदि पैनिक अटैक का लंबे समय तक इलाज नहीं कराया जाए, को इससे पैनिक डिसऑर्डर हो सकता है। इसमें थोड़े समय के भीतर लगातार और बार-बार होने वाले पैनिक अटैक शामिल हैं। तो पैनिक डिसऑर्डर से निपटने के लिए उचित ज्ञान होना जरूरी है। यह समझना जरूरी है कि पैनिक डिसऑर्डर के संकेतों का किसी भी गंभीर बीमारी से कोई संबंध नहीं है।

जब किसी व्यक्ति को पैनिक डिसऑर्डर होता है तो छोटी, उथली सांस लेना स्वाभाविक है। ऐसे में सांस पर नियंत्रण रखना होगा और भीतर हवा का एक धीमा फ्लो बनाने की कोशिश करनी होगी। मस्तिष्क की एक सामान्य स्थिति में धीमी गति से सांस लेने का अभ्यास करने की सलाह दी जाती है, ताकि इस तकनीक पर अच्छी पकड़ हो जो पैनिक अटैक होने पर काम आएगी। पांच सेकंड के लिए सांस लेनी होगी और छोड़ने से पहले एक सेकंड के लिए सांस रोकना होगी, इसे चार सेकंड में धीरे-धीरे बाहर निकालना होगा।
यह प्रक्रिया तब तक दोहरानी होगी जब तक कि शांत महसूस न होने लगे। फिर उसके बाद शरीर को किस तरह से तनावमुक्त करके अलग-अलग मांसपेशियों को कैसे आराम दिया जाए यह सीखने की कोशिश करनी चाहिए। पैरों की मांसपेशियों पर काम करना शुरू कर सकते हैं और फिर धीरे-धीरे माथे की और बढ़ सकते हैं। एक गहरी सांस लेते हुए प्रत्येक मांसपेशी के समूह को कसना होगा, इसे कुछ पलों के लिए रोककर रखें और इसे सांस लेते हुए छोड़ें। अगर ऐसा लग रहा है कि पैनिक डिसऑर्डर का शिकार हो रहे हैं तो बिना समय गंवाए मनोवैज्ञानिक से बात करना जरूरी है। अधिक जानकारी के लिए देखें : https://www.myupchar.com/disease/panic-attack-disorder स्वास्थ्य आलेख http://www.myupchar.com/ द्वारा लिखे गए हैं, जो सेहत संबंधी भरोसेमंद जानकारी प्रदान करने वाला देश का सबसे बड़ा स्रोत है।

अन्य समाचार