कोरोना से संक्रमित व्यक्ति 5 से 100 मीटर के दायरे में आता हैं तो एप करेगा अलर्ट और बताएगा बहुत कुछ...

इस वायरस से बचाव के लिए जेसी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए के विद्यार्थियों ने इनोवेटिव समाधान खोज निकाला है।


नई दिल्ली । देश में कोरोना से पीड़ित लोगों की संख्या 700 के करीब पहुंच गई। गुरूवार को भारत में कोरोना के 88 नये मरीज मिले। जबकि इस बीमारी के कारण पिछले 24 घंटे में छह और मौतों की पुष्टि हुई है। हालांकि अब तक इस बीमारी से 44 लोग स्वस्थ होकर अपने घर भी लौट चुके हैं। मरीजों की संख्या की बात करें तो, भारत में अब तक घातक बीमारी की चपेट में 694 लोग आ चुके हैं।

वहीं अमेरिका में इस वायरस से सबसे ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। अब तक अमेरिका में इस बीमारी से 82179 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इसके अलावा, चीन में इस वायरस का प्रकोप थोड़ी धीमी रफ्तार पकड़ी है। अब इस वायरस से बचाव के लिए जेसी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए के विद्यार्थियों ने इनोवेटिव समाधान खोज निकाला है। विश्वविद्यालय की स्टार्ट-अप टीम में एमबीए के दो विद्यार्थियों ललित फौजदार और नितिन शर्मा ने जियो-फेंसिंग तकनीक का उपयोग करते एक मोबाइल एप तैयार किया है।
इस एप से कोई संक्रमित व्यक्ति 5 से 100 मीटर के दायरे में आता हैं तो एप के माध्यम से उसका अलर्ट मिल जाएगा। इसके साथ ही यह चेतावनी देगी कि आप उन स्थानों पर न जाएं, जहां संभावित संक्रमित व्यक्ति पिछले 24 घंटे में आया हो। विश्वविद्यालय के फैकल्टी अजय शर्मा ने बताया कि इस एप को कवच का नाम दिया गया है।

उन्होंने बताया कि कि भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 16 मार्च को कोविड-19 समाधान चुनौती लांच किया था। इस चुनौती के जरिए 31 मार्च तक कोरोना वायरस से रोकथाम के लिए इनोवेटिव समाधान आमंत्रित किए थे। विश्वविद्यालय की टीम ने चुनौती को स्वीकार करते हुए 10 दिन की कड़ी मेहनत के बाद यह मोबाइल एप तैयार किया है। एप को प्ले स्टोर पर उपलब्ध करवाने के लिए गूगल इंडिया को भी भेजा गया है। केंद्र सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद यदि ऐप व्यवहार में आता है तो यह देश के साथ-साथ दुनिया भर में कोरोना संक्रमण कोे रोकने में एक कारगर उपाय साबित हो सकता है।
वही कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने स्टार्ट-अप टीम के प्रयासों की सराहना की है। कुलपति ने कहा कि कोरोना दुनिया भर में मानव जाति के लिए संकट बनती जा रही है। इससे निपटने के लिए रोकथाम ही बेहतर विकल्प है।

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