कोरोना वायरस: किन अफ़वाहों से डरे हुए हैं महाराष्ट्र में ग्रामीण

एक तरफ जब भारत के कई प्रदेशों में लोग कोरोना वायरस के संभावित संक्रमण से डरे हुए हैं तो दूसरी तरफ महाराष्ट्र के गांवों में लोग एक अजीब सी अफ़वाह से डरे हुए हैं.

यहां गांवों में अफ़वाह फैली है कि जो व्यक्ति रात को सोएगा को फिर कभी उठ नहीं पाएगा. गांववाले इस अफ़वाह के कारण डर में अपने दिन गुज़ार रहे हैं.
चार दिन पहले जब मैंने गांव में रह रही मेरी मां को फ़ोन किया, तब वो खेत में थी. मैंने उनसे पूछा कि जब सरकार ने सभी लोगों से घर पर ही रहने के लिए कहा है तो वो खेत पर क्यों गई हैं.
मेरी मां ने मुझसे कहा कि "देश में कोरोना की बीमारी आई है लेकिन खेत में आने के बाद कोरोना नहीं होता है, इसलिए मैं घर से सभी बच्चों और भाई के बच्चों को लेकर खेत में आ गई हूं."
उनकी बात सुन कर मुझे बेहद आश्चर्य हुआ कि जिस कोरोना को लेकर दुनिया के ज़्यादातर परेशान हैं और जिसे रोकने के रास्ते दुनिया भर में तलाशे जा रहे हैं उसे लेकर गांव में एक अलग ही माहौल है.
मैंने सोचा कि गांव के लोगों से बात कर वहां की स्थिति के बारे में पता करूं. मुझे पता चला कि जहां एक तरफ इसे लेकर दहशत का माहौल है वहीं दूसरी तरफ कई गांववाले इसको गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
गांवों में अफवाहों का बाज़ार गर्म
मंगलवार को अहमदनगर के तांबे कॉलोनी में एक अफवाह फैली जिस कारण रात को वहां कोई भी नहीं सोया.
तांबे कॉलोनी में रहने वाले आदिनाथ गाढ़े ने हमें बताया, "बुधवार को हमें किसी ने बताया कि एक महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया है जिसने जन्म लेते ही कहा कि 'आज रात को जो सोएगा वो हमेशा के लिए सोएगा और जो नहीं सोएगा वो ज़िंदा रहेगा'. इस ख़बर के मिलने के बाद हमारी कॉलोनी में कोई भी व्यक्ति सोया नहीं है. सब एक जगह पर इकट्ठा हुए और न सोने के लिए रात भर बातें करते रहे."
बुधवार को परभणी जिले के पालम के शनिवार बाज़ार में भी ये अफवाह सुनने को मिली जिसके बाद वहां भी लोग बुधवार रात नहीं सोए.
शनिवार बाज़ार के पास रहने वाले देवानंन हत्तिअंबिरे ने बताया, "बुधवार रात को करीब तीन बजे हमारी बस्ती मे रहने वाले एक व्यक्ति के पास उनके एक रिश्तेदार का फ़ोन आया. उन्होंने फ़ोन पर बताया कि पास के एक गांव में एक बच्ची का जन्म हुआ है जिसने जन्म के तुरंत बाद कहा है कि कोरोना वायरस आया है और रात को सोने वाला कभी नहीं उठेगा. उस व्यक्ति ने पूरी बस्ती को जगा कर रात में जगाया और कहा कि कोई भी रात को न सोए. उसके बाद पूरी रात हम लोग नहीं सोए."
मैं खुद बुलणाढ़ा के जहांगीर के सिनगांव का हूं. बुधवार रात को ये अफ़वाह मेरे गांव में भी फैली और रात को यहां भी कोई व्यक्ति सोया नहीं. महाराष्ट्र के गांव में कोरोना को लेकर कई तरह की अफ़वाहें फैल रही हैं जिस कारण वहां लोगों में दहशत का माहौल है.
और क्या-क्या अफ़वाहें फैल रही हैं?
'गांव में कोरोना नहीं आता'
जहं एक तरफ इस तरह की अफ़वाहों से लोग डरे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ गांव में ऐसे लोग भी हैं जो इन अफ़वाहों की परवाह नहीं करते.
आदिनाथ गाढ़े कहते हैं कि लोग इसे लेकर गंभीर नहीं दख रहे. कई जगहों पर बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं, कई लोग कैरन बोर्ड खेल रहे हैं. खेतों में गेहूं और चने की कटाई का काम चल रहा है.
औरंगाबाद ज़िले के सिलोढ़ तालुका के उपलीं गांव में रहने वाले विकास सेजुल कहते हैं कि रोजड सवेरे गांव के युवा एक जगह पर इकट्ठा हो कर गप्पे लड़ाते और दोपहर को ताश के पत्ते खेलते दिख जाते हैं. औरतें पापड़ बना रही हैं.
इन युवाओं का कहना है कि न्यूज़ पर उनका कोई भरोसा नहीं है, गांव में कोरोना नहीं आता है.
खेतों में रहने को दी जा रही है प्राथमिकता
कोरोना के ख़ौफ़ से जहां एक तरफ महाराष्ट्र के शहरों से लोग गांवों की तरफ पलायन कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ गांव के लोग खेतों की तरफ जा रहे हैं.
ये लोग पूरा दिन खेत में बिताते हैं और सिर्फ शानम को खाना खाने के लिए घर आते हैं.
जालना ज़िले के गोंडगाव के दीपक पाल कहते हैं, "पुणे और मुंबई से कई लोग गांव की तरफ आ रहे हैं और खेतों में रहने जा रहे हैं."
लातूर ज़िले के ऋशकेश देशमुख कहते हैं कि "हमारे गांव से कई परिवार खेत में रहने के लिए गए हैं और वो मानते हैं कि ऐसा करने पर वो कोरोना से सुरक्षित रहेंगे."
गांव भी लॉकडाउन
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पूरे राज्य को लॉकडाउन करने की घोषणी की है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश लॉकडाउन की घोषणा की है. इसके बाद कई गांव भी खुद को लॉकडाउन कर रहे हैं. रायगढ़ में बावंढ़र नाम का ग्रूप ग्राम पंचायत है जिसने अपने तहत आने वाली सभी गांवों को लॉकडाउन कर दिया है.
बावंढ़र गांव के प्रासद अटक बताते हैं, "24 मार्च से हमने अपने गांव को सील कर दिया है. न तो बाहर से किसी परिजन को गांव में आने की अनुमति है और न ही मुंबई और पुणे से यहां किसी को आने दिया जा रहा है."
महाराष्ट्र के मुंबंई और पुणे में कोरोना के कई मामले सामने आए हैं जिसके बाद यहां से दूर विदर्भ और मराठवाड़ा के कई ज़िलों में गांवों में भी लॉकडाउन का फ़ैसला किया है.
बुलढ़ाणा के गारगुंडी और लातूर के नायगांव ने खुद को ल़कडाउन कर लिया है.
नायगांव के सरपंच रमेश मोगले ने कहा, "बाहर ये गांव में आए लोगों की हमने एक लिस्ट तैयार की है. इन्हें हम प्राइमेरी हेल्थ सेंटर तक जांच के लिए ले कर गए थे और फिर हमने उन्हें 14 दिन तक घर में ही अलग रहने के लिए कहा है."
कीटनाशक का इस्तेमाल
कोरोना रोकने के लिए लोग कीटनाशक क इस्तेमाल कर रहे हैं और इसकी जानकारी सोशल मीडिया के ज़रिए दे रहे हैं.
कोरोना रोखण्यासाठी गावांमध्ये जंतूनाशकांची फवारणी केली जात आहे. यासंबंधीची माहिती अनेक जण सोशल मीडियावर देत आहे.
पूछने पर सरपंच मोगले ने हमें बताया कि "हम दिन में तीन बार गली-गली में घूम कर लोगों से घर से बाहर न आने की अपील कर रहे हैं. साथ ही सार्वजनिक जगहों पर कीटनाशक का छिड़काव कर रहे हैं.
आशा वर्कर और पुलिस की तैनाती
कोरानो ग्रामीण इलाकों में पैर न पसारे इसलिए आशा वर्कर हर परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य की जानकारी ले रही हैं.
पुणे जिले के वाले में आशा वर्कर के तौर पर काम करने वाली रोहिनी पवार ने बताया, "आशा वर्कर हर घर से हेल्थ रिपोर्ट ले रही हैं. बाहर से कोई व्यक्ति परिवार में आया है, किसी को बुख़ार या सर्दी खांसी है तो उसकी रिपोर्ट बना कर हम रोज़ाना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जमा कर रहे हैं."
कम से कम एक पुलिकसर्मी दिन में दो तीन बार गांव का दौरा कर स्थिति का जायज़ा ले रहे हैं.
जालना के सिपोरा-अमोरा में रहने वाले कैलाश चेवाड़े बताते हैं, "दिन में तीन बार पुलिस की गाड़ी आ रही है. पुसिलकर्मी रोज़ कह रहे हैं कि घर में ही रहिए, स्वच्छता रखिए और बार बार हाथ धोइए."
वो बताते हैं कि पुलिसकर्मी बार बार ये भी पूछ रहे हैं कि बाहर से कोई व्यक्ति आया है को उसकी जानकारी उन्हें दी जाए.
अफ़वाह फैलाने वालों को नहीं बख्शा जाएगा - स्वास्थ्य राज्यमंत्री
गांवों की स्थिति के बारे में मैंने संपर्क किया महाराष्ट्र के राजेंद्र यड्रावकर से जिन्होंने बताया, "मेरी अपील है कि ग्रामीण इलाकों में फैल रही अफवाहों से आप बिल्कुल मत डरिए. अफ़वाह फैलाने वाले व्हाट्सऐप ग्रूप ऐड्मिन के ख़िलाफ़ हमने कदम उठाए हैं. कुछ मामले भी दर्ज किए गए हैं."
उन्होंने कहा, "अगर आपको काम नहीं है तो आप गांव में न जाएं. खुद की जान की परवाह कीजिए तभी हम इस संकट से बच सकेंगे."
वो कहते हैं कि सरकार ने 'मैं ही मेरा रक्षक' नाम से एक अभियान शुरु किया है और सभी को इसे सफल बनने के लिए मदद करनी चाहिए.
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source: bbc.com/hindi

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