..घर तक वाहन जाने की मिली सूचना और बनता गया कारवां

घर तक वाहन जाने की सूचना मिली व कारवां बन गया। हर कोई बैग, झोला-थैला, मोटरी उठा सड़क पर आ गए। अगर वाहन नहीं आता तो हम भी घर के अंदर ही रहते। यह कहना है खगड़िया के सोनबरसा सोसायटी टोला निवासी व कानपुर के मालगोदाम में काम करने वाले मनीष यादव का। लॉकडाउन को बावजूद अपने गांव जाने वाले मनीष अकेले नहीं हैं। रविवार को रोहतास-कैमूर जिला की सीमा पर स्थित खुर्माबाद में दिल्ली, यूपी से मनीष जैसे पहुंचे सैकड़ों लोगों की एक ही दास्तां है। वैश्विक आपदा कोरोना को ले पीएम मोदी जहां सभी से घरों में रहने की अपील कर रहे हैं, वहीं सैकड़ों किलोमीटर दूर रहने वाले हजारों लोगों में घर जाने की आपाधापी भी दिखी। ऐसा नहीं कि उन्हें घर पहुंचने की जल्दी थी, बल्कि लॉकडाउन के दौरान भी फंसे लोगों को घरों तक पहुंचाने की मिली सूचना ने कारवां बना दिया। मनीष बताते हैं कि वे होली के बाद 16 मार्च को ही कानपुर गए थे। 22 तारीख को जनता क‌र्फ्यू व 24 से लॉकडाउन हो गया। गोदाम का ठीकेदार दो दिन पहले एक माह का तनख्वाह भी उपलब्ध कराया। इसी बीच लोगों के बीच यह जानकारी मिली कि घर तक पहुंचाने के लिए वाहन की व्यवस्था की जा रही है। यह जानकारी मिलते ही हजारों लोग अपने-अपने घरों के लिए निकल पड़े। खगड़िया के ही नेवास यादव, मनोज सहनी, दीनानाथ प्रसाद समेत अन्य बताते हैं कि केवल कानपुर शहर से दो हजार से अधिक लोग शनिवार को घरों के लिए निकले। रोहतास के दरिहट निवासी राजकिशोर भगत को भी साधन उपलब्धता की मिली जानकारी ने ही उन्हें घर जाने के लिए प्रेरित किया। इसका परिणाम क्या होगा, यह उन्हें भी समझ है। तभी तो कहते हैं कि जिस जगह पर वे रहते हैं वहां अधिकांश फैक्ट्री, पावर प्लांट व रेलवे गोदाम में काम करने वाले लोग ही हैं। सभी घर जाने लगे तो वे भी बस पकड़ लिए। दिल्ली से अपने बच्चों व परिवार के चार अन्य सदस्यों के साथ यहां पहुंची मुंगेर की सुषमा देवी को भी कोरोना से संक्रमण का भय उन्हें गांव तक पहुंचने के लिए बाध्य किया है। लॉकडाउन के फायदे भी जानती हैं । लेकिन कहती हैं कि दो दिन पूर्व वाहनों की मिली सूचना ने उनके पांव को गांव का रूख करा दिया। बताती हैं कि अगर वाहन की व्यवस्था नहीं हुई होती तो उनका परिवार भी तीन सप्ताह लॉकडाउन का पालन करता। हालांकि इसमें से कई लोग ट्रकों व अन्य वाहनों को बदलते हुए यहां तक पहुंचे। अधिकांश से ट्रक व बस चालकों ने किराया भी वसूला। डीएम पंकज दीक्षित बताते हैं कि जिले की सीमा को सील कर सबकी थर्मल स्क्रीनिग करा घरों तक भेजने की व्यवस्था निशुल्क की गई है। ठहरने व भोजन-जलपान की व्यवस्था है। अब तक लगभग चार सौ लोग इस रास्ते पहुंचे हैं, जिनकी जांच की गई है। वहीं, कई लोग यूपी की सीमा के बाद कैमूर जिला की सीमा पार कर जिले के रास्ते पैदल जा रहे हैं, वे इस महामारी को रोकने में कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं, यह समय ही बताएगा।

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