लॉकडाउन ने हटाई शौक पर जमी धूल

पटना। शौक बड़ी चीज है। कई बार हम अपने काम को प्राथमिकता देते हुए अपने शौक को पीछे छोड़ देते हैं। कोरोना को लेकर लॉकडाउन ने कई लोगों को अपने शौक पर चढ़ी धूल को साफ करने का मौका दिया है। कहीं संगीत का रियाज तो कही पेंटिग के जरिए लोग अपने शौक को पूरा कर रहे हैं। पेश है एक रिपोर्ट

लॉकडाउन ने संगीत के लिए दे दिया वक्त :
एसपी वर्मा रोड के रहने वाले 45 साल के सतीश जालान को कॉलेज के समय से ही संगीत से शौक था। जब तक कॉलेज में रहे, रोज अपने गिटार के साथ रियाज करते थे। वह कहते हैं- कई बार तो दोस्तों के साथ बैठकर उनके खास दिनों को खास बनाने में मेरा गिटार बहुत काम आता था। अगर किसी दोस्त को स्पेशल फील करवाना होता था तो मैं गिटार लेकर उनके पास गाने के लिए पहुंच जाता था। लेकिन कॉलेज के बाद काम में हम ऐसे व्यस्त हो गए कि शौक कहीं पीछे रह गया। रोज घर आते-जाते दीवार पर लगे गिटार को देखकर अपने कॉलेज के दिनों को याद करता था, लेकिन मौका नहीं मिलने के कारण उसको बजा नहीं पा रहा था। लेकिन इस 21 दिन के लॉकडाउन में मुझे वापस से अपने शौक को जीने का मौका मिल गया। अभी सुबह से लेकर शाम तक गिटार लेकर रियाज भी करता हूं और अपनी पत्नी को बैठाकर एक से बढ़कर एक गाने सुनाता हूं। साथ ही पत्नी के हाथ से बनी कॉफी का स्वाद लेता हूं।
बच्चे की कलर पेंसिल से बना रहे पेंटिग :
कंकड़बाग के रहने वाले 39 साल के आनंद कौशल एक व्यापारी हैं। वह बताते हैं कि स्कूल के समय से उन्हें पेंटिग करने का शौक था। स्कूल और कॉलेज तक तो मेरा शौक चलता रहा। तनाव में रहूं या खुश मैं सिर्फ पेंटिंग करता था। लेकिन जैसे-जैसे व्यापार का दबाव बढ़ता गया शौक पर धूल जमते गयी। धीरे-धीरे पेंटिग ब्रश कही खो गयी और पेंटिग की कला भी खोती चली गई। 21 दिन के लॉकडाउन के बाद तो सबसे पहले मैंने अपनी पेंटिंग के शौक को पूरा करने की कोशिश की। सबसे पहले अपने बेटे से उसके कलर ब्रश को लिया और बेसिक चीजों को बनाना शुरू किया। अपनी पेंटिग में अपने बेटे की भी पूरी राय लेता हूं और परिवार के साथ पूरा दे रहा हूं।
कूकर की सीटी के साथ दिन की हो रही है शुरुआत :
खेमनीचक के रहने वाले 40 साल के प्रेम को शुरू से ही खाना बनाने का शौक था। इसलिए कॉलेज जाने से लेकर शाम वापस आने तक रोज अपने हाथ से ही खाना बनाते थे। वह अपने रूम मेट के लिए भी खाना बनाते थे। कई बार तो उनके खाने की खुशबू से ही आसपास के छात्र भी खाना खाने के लिए आ जाते थे। कॉलेज छूटने के बाद खाना बनाना छूट ही गया। घर वापस आने के बाद मां खाना बनाने लगी और शादी के बाद पत्नी ने खाना बनाना शुरू किया। खाना बनाने का शौक तो कई बार किया, लेकिन काम के प्रेशर के कारण शौक कहीं पीछे छूटते चले गए। लेकिन इस लॉकडाउन ने मुझे वापस अपने शौक से वापस मिलवा दिया। अब सुबह राजमा बनाने से होती है तो शाम में बच्चों के लिए तरह-तरह के चटपटे खाने के शौक पूरा करने से होती है।
गुलाब और गेंदे के साथ गुजर रहा लॉकडाउन :
कुम्हरार के रहने वाली 35 साल के चंदन को बागवानी का बहुत शौक है। उन्हें जब भी मौका मिलता है, अपने अहाते में एक से एक नायाब पौधे को जगह देते हैं। कई फूल तो उनके पास ऐसे हैं जो उनके आस-पास के लोगों को भी आकर्षित करता है। चंदन बताते हैं कि वह एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। सुबह घर से निकलने के बाद वो रात में घर आते थे। इसके कारण अपना शौक पूरा करने में ज्यादा समय नहीं दे पाते थे। इस लॉकडाउन ने उन्हें उनके शौक से जोड़ने में मदद की है। चंदन बताते हैं कि वो सुबह से दोपहर तक अपने बागबानी में लगे रहते हैं और शाम में उनमें खाद और पानी देकर उनकी सेवा में लगे रहते हैं।

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