कमांडो 3 के निर्देशक ने सुनाए नाना आनंद बख्शी के दिलचस्प किस्से, ऐसे लिया था सिनेमा का एंट्री टेस्ट

सार 40 बार फिल्मफेयर पुरस्कारों के लिए नामित हुए आनंद बख़्शी को बाकी घर वालों की तरह आदित्य भी डैडी ही बुलाते थे आदित्य के माता पिता ने ये बात आनंद बख्शी को बताई तो उन्होंने आदित्य को जांचने का फैसला किया

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चर्चित अदाकारा तनुश्री दत्ता को बड़े परदे पर पहला ब्रेक देने वाले निर्देशक आदित्य दत्त इन दिनों अपनी पत्नी और बेटे के साथ कोरोना काल में एकांतवास कर रहे हैं। विद्युत जामवाल के साथ उनकी पिछली फिल्म कमांडो 3 सुपर हिट रही और वह इन दिनों अपनी अगली फिल्मों व वेब सीरीज पर काम कर रहे हैं। कोरोना लॉकडाउन में मिले समय का सदुपयोग वह इन प्रोजेक्ट्स को लेकर अपनी टीम से विचार विमर्श करने में कर रहे हैं। इसमें से कुछ समय निकालकर आदित्य ने अपने नाना आनंद बख़्शी की कुछ यादें अमर उजाला के साथ साझा कीं। 40 बार फिल्मफेयर पुरस्कारों के लिए नामित हुए आनंद बख़्शी को बाकी घर वालों की तरह आदित्य भी डैडी ही बुलाते थे। वह बताते हैं, 'डैडी बहुत ही जिंदादिल इंसान थे और दूसरों की मनोभावनाओं को पढ़ने में उन्हें कमाल की महारत हासिल थी। मुझे याद है जब मैंने दसवीं के बाद आगे पढ़ाई करने की बजाय काम करने की इच्छा जताई और इसके लिए सिनेमा को अपना करियर बनाना चाहा तो घर में हंगामा हो गया। पा और मम्मी को समझ ही नहीं आया कि इस उम्र में बेटा बागी कैसे हो गया?'
आदित्य के माता पिता ने ये बात आनंद बख्शी को बताई तो उन्होंने आदित्य को जांचने का फैसला किया। आदित्य बताते हैं, 'एक दिन डैडी ने मुझे बुलाया और अपने पास बैठने को कहा। उस दिन दीपक शिवदासानी एक फिल्म की कहानी उन्हें सुनाने आए थे जो शायद अजय देवगन को लेकर बनने वाली थी। तब के गीतकार बिना फिल्म की पूरी कहानी सुने गाने नहीं लिखते थे। डैडी तो इस बात पर हमेशा अड़े रहते थे कि पहले पूरी कहानी सुनाओ। कहानी सुनने के बाद वह तय करते थे कि उन्हें गाने लिखने हैं कि नहीं।'तो फिर कहानी सुनने के बाद क्या सवाल जवाब हुए? इस सवाल पर आदित्य मुस्कुराते हैं। वह कहते हैं, 'यहीं तो कहानी का असली ट्विस्ट आया। मैं पूरे समय बैठकर कहानी सुनता रहा। कहानी खत्म होने के बाद डैडी ने गिलौरी खाई और मैं खेलने चला गया। दो दिन बाद हम लोग साथ में डिनर कर रहे थे तो डैडी ने एकदम से सवाल किया, वो जो तुमने उस दिन कहानी सुनी, वो क्या थी। मैं समझ गया। ये टेस्ट चल रहा था। लेकिन, मैंने भी उन्हें निराश नहीं किया। उस दिन की पूरी कहानी सारे प्लॉट प्वाइंट्स के साथ सिलसिलेवार सुनाता चला गया। सब मेरी तरफ देख रहे थे और मैं डैडी की तरफ।'
फिर क्या हुआ? 'डैडी ने अगली सुबह भट्ट साब (महेश भट्ट) को फोन किया और कहा कि मेरा नाती गर्मियों की छुट्टियां आपके यहां बिताएगा। उन दिनों कसूर फिल्म का सेट लगा हुआ था और भट्ट साब का तो टाइम का पता नहीं रहता। वह सुबह पांच बजे भी बुला सकते हैं और देर रात तक भी काम करा सकते हैं। तो मैंने खुद को तभी से इस काम के लिए मानसिक रूप से तैयार किया। डैडी का वो टेस्ट मुझे कभी नहीं भूलेगा। मैंने उनके तमाम गानों से जिंदगी के और भी तमाम सबक सीखे हैं।' Coronavirus: आर्थिक सहायता के लिए आगे आए सारा और विक्की, अभिनेता ने डोनेट किए एक करोड़ रुपये

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