सुरक्षा उपाय नहीं होने के बाद भी कार्य कर रहा मेडिकल स्टाफ

पूर्णिया। प्रधानमंत्री के देशव्यापी लॉकडाउन के सातवें दिन भी जिले अबतक एक भी सक्रिय मरीज की पहचान नहीं हुई है। जिले और प्रखंड स्तर पर भी सभी सरकारी अस्पताल में क्वारंटाइन वार्ड बनाया गया है। विदेश यात्रा से लौटे 41 लोग और तीन हजार विभिन्न राज्यों से लौटे लोगों की निगरानी हो रही है। फिलहाल अस्पताल सबसे बड़ी दिक्कत कोरोना के संदिग्ध मरीज के मेडिकल चेकअप में आ रही है। इसके साथ अब सैंपल कलेक्शन का कार्य भी शुरू हो गया है। सदर अस्पताल में मेडिकल स्टाफ मानक के अनुरूप सुरक्षा उपकरण नहीं मिल पा रहा है। पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेट के अभाव में संदिग्ध कोरोना मरीज सैंपल कलेक्शन में भी लैब टेक्नीशियन भी हिचक रहे हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज से अन्य लोगों में फैलता है। वायरस से सुरक्षित रखने में सामान्य मॉस्क बेअसर है। इसके लिए ट्रिपल लेयर मॉस्क या एन 95 माॉस्क की आवश्यकता होती है। इसके साथ विशेष तरह का पोशाक होता है जो मेडिकल स्टाफ को पहनना होता है। इसको पहनने के बाद वे पानी तक नहीं पी पाते हैं। एक मेडिकल स्टाफ को अगर पांच-छह घंटे तक इस विशेष पोशाक को पहन कर रहना पड़ा तो समझा जा सकता है उनको कितनी परेशानी होगी। यही एक मात्र तरीका है इस वायरस के संक्रमण से स्वयं को बचाने के लिए। ऐसे में सुविधा के अभाव में ना एलटी सैंपल लेने को तैयार है और ना मेडिकल स्टाफ ऐसे संदिग्ध मरीज को छूने को तैयार है। 12 एलटी को यहां प्रशिक्षण दिया गया है लेकिन इतनी संख्या में सुरक्षा उपकरण ही उपलब्ध नहीं है। अभी जिले में फ्लू के लक्षण से पीड़ित लोगों की जांच की जा रही है लेकिन किसी में भी कोरोना के लक्षण नहीं है। जिन लोगों की निगरानी की जा रही है उसमें अभी किसी तरह के लक्षण नहीं उभरे हैं।


Posted By: Jagran
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