Coronavirus: तब्लीगी जमात की लापरवाही पर आया नुसरत जहां का बयान, कहा- 'आप चाहें किसी भी धर्म के..'

कोरोना वायरस से बचने के लिए सरकार ने पूरे भारत में लॉकडाउन लागू कर रखा है। ऐसे में किसी को भी बेवजह अपने घर से निकलने की अनुमित नहीं है। सरकार की सख्ती के बाद भी बीते दिनों दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीग जमात के मरकज में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन में 1800 से ज्यादा से लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें 281 विदेशी भी शामिल थे। ऐसे में देश के अंदर कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।

इस मामले में कई फिल्मी सितारे भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। साथ ही इस तरह एक साथ लोगों के इकट्ठा होने पर आलोचना भी कर रहे हैं। अब इस मामले में बंगाली सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री नुसरत जहां ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। अभिनेत्री से नेता बनीं नुसरत जहां ने हाल ही में मीडिया से बात की और मरजक में इकट्ठा हुए लोगों की आलोचना भी की। साथ उन्होंने इस तरह के आयोजन ना करने और लोगों से घर में रहने की अपील की।
नुसरत जहां ने कहा, 'मैं सबसे हाथ जोड़कर कहूंगी कि हम आज जिस दौर से गुजर रहे हैं उस समय हमें राजनीतिक, धार्मिक और जातियों से जुड़ी बातों को बंद कर देना चाहिए। अफवाह फैलाने से ज्यादा बेहतर होगा कि आप अपने घर में क्वारंटीन रहें। हमें इस समय सतर्कता बरतनी है। कोई भी बीमारी धर्म, ऊंच-नीच देखकर नहीं अटैक करती है आप चाहें किसी भी धर्म के हो, आपको इस खतरनाक वायरस को समझना चाहिए।'
नुसरत जहां के इस बयान की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है। वहीं नुसरत जहां से पहले बॉलीवुड के मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर भी मरकज में इकट्ठा हुए लोगों की सोशल मीडिया पर आलोचना कर चुके हैं। जावेद अख्तर ने ट्विटर पर लिखा, 'स्कॉलर और अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष ताहिर महमूद साहेब ने दारूल उलूम देवबंद से मस्जिदों को बंद करने का फतवा जारी करने के लिए कहा है, जब तक कि कोरोना का ये समय खत्म नहीं हो जाता। मैं पूरी तरह से उनकी इस मांग का समर्थन करता हूं। अगर काबा और मदीना की मस्जिद बंद हो सकती है तो भारत की मस्जिदों को क्यों बंद नहीं किया जा सकता?'
आपको बता दें कि निजामुद्दीन स्थित तब्लीग जमात के मरकज में पिछले दो दिनों के दौरान दिल्ली पुलिस को मिले 1830 व्यक्तियों में 281 विदेशी भी शामिल हैं। यहां मार्च के मध्य में एक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। एक से 15 मार्च तक चले इस जलसे में मलेशिया, अफगानिस्तान, कुवैत, अल्जीरिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब और किर्गिस्तान सहित कई अन्य देशों से लोग शामिल हुए थे।

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