महामारी काल में हुआ मरीजों का लॉकडाउन

जागरण संवाददाता, सुपौल: महामारी के इस संक्रमण काल में ऐसा महसूस हो रहा है जैसे अन्य बीमारियों अथवा अन्य मरीजों का लॉकडाउन हो गया है। सदर अस्पताल में ओपीडी की सेवा फिलहाल बंद है। निजी नर्सिंग होम अथवा क्लीनिक को चिकित्सकों ने शायद एहतियात के तौर पर बंद कर रखा है। जबकि अन्य सभी आवश्यक सेवाएं ली और दी जा रही है। इमरजेंसी सेवाएं अस्पताल में उपलब्ध है। नतीजा हुआ कि शुरुआती दिनों में कुछ सामान्य मरीजों को परेशानी हुई अब वे भी शायद समझौता कर चुके हैं। बाजार में पुराने पुर्जे पर लिखी दवा को खरीदकर अपने ही हिसाब से उपयोग में लगे हैं अधिकांश मरीज।

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सामान्य दिनों में 1200 तक होती थी सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या
सामान्य दिनों में सदर अस्पताल में एक दिन में 1200 तक मरीजों की संख्या पहुंच जाया करती थी। इमरजेंसी में यह संख्या 40 से 50 के करीब होती थी। लेकिन सदर अस्पताल में ओपीडी सेवा बंद रहने के कारण इमरजेंसी में यह संख्या बढ़कर 200 के करीब पहुंच रही है। हमेशा मरीजों से भरा रहने वाला अस्पताल इस संक्रमण काल में सन्नाटे में होता है। इमरजेंसी में कुछ चहल-पहल दिखती रहती है। दिनभर रिपोर्ट की तैयारी और सरकारी पत्रों के जवाब-सवाल में पूरा सिस्टम उलझा नजर आता है।
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लॉकडाउन में आवागमन से परहेज
लॉकडाउन में चूंकि अपने घरों से बाहर नहीं निकलना है और आवागमन में भी परेशानी होती है इसीलिए वैसे मरीज जो तत्काल चिकित्सकों से नहीं मिलेंगे तो भी काम चल सकता है, निकलने से ही परहेज करने लगे हैं। प्राइवेट नर्सिंग होम अथवा क्लीनिकों के बंद रहने से भी ऐसे मरीज निराश हो घर ही बैठना उचित मान रहे।
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कोट-
सदर अस्पताल में इमरजेंसी सेवा बहाल है। इमरजेंसी में मरीजों की संख्या में पहले की तुलना में बढ़ोतरी ही हुई है। वैसे भी सर्दी और बुखार के जो मरीज सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं उनकी अलग वार्ड में विशेष तौर निगरानी की जा रही है।
अभिलाष कुमार वर्मा
प्रबंधक,सदर अस्पताल
Posted By: Jagran
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