दवा व डॉक्टर की कमी से संकट में बीत रहे गंभीर रोगियों के दिन

लॉकडाउन के शुरुआती दिनों की बात है। एक मित्र के स्वजन ने मोबाइल पर संपर्क कर अपनी पीड़ा बताई। कहा कि सर्दी-खांसी थी। तीन दिनों पूर्व पार नवादा के एक चिकित्सक से इलाज कराया। कुछ दवाएं लिखी और कुछ जरूरी जांच कराने का परामर्श दिया गया। तीन दिन बाद जब पहुंचा तो डॉक्टर नहीं थे। जांच रिपोर्ट भी वहां से नहीं मिला। फीस भी गए, जांच रिपोर्ट के पैसे भी पानी में चले गए। इलाज के लिए दूसरे डॉक्टर से संपर्क करना पड़ा। मैंने खोज-खबर ली तो पता चला कि डॉक्टर साहब कोरोना संक्रमण के भय से भूमिगत हो गए हैं। संक्रमण काल के खात्मा के बाद ही प्रकट होंगे। देशव्यापी लॉकडाउन के 12 दिन हो चुके हैं। संकट गहराता जा रहा है। गंभीर रोग से पीड़ित मरीजों की मुश्किलें दिन व दिन बढ़ती जा रही है। आलम ये उन्हें न दवा मिल रही है, न ही डॉक्टर से भेंट हो रहा है।

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शहर में रहने वाले मरीज तो जैसे-तैसे काम चला ले रहे हैं, लेकिन सुदूर गांवों में रहने वालों की मुश्किलें कम नहीं हो रही है। ऐसे एक नहीं कई मामले सामने आए हैं। पकरीबरावां प्रखंड के डोला गांव के नगीना चौरसिया जदयू के नेता हैं। किडनी रोग से पीड़ित हैं। पटना के डॉ. नवीन चंद्र से इलाजरत हैं। चिकित्सक की सलाह है प्रत्येक माह चेकअप कराने का। चेकअप के बाद ही डॉक्टर दवा लिखते हैं। लॉकडाउन के कारण पटना जाकर इलाज कराना व दवा लेना मुश्किल हो रहा है।
नवादा न्यू एरिया के पातालपुरी निवासी विनय कुमार सिन्हा मधुमेह से पीड़ित हैं। हर तीन माह पर पटना के चिकित्सक से परामर्श लेना होता है। संभव नहीं हो पा रहा है। कौआकोल प्रखंड के दरावां पंचायत की डोमन बाग गांव निवासी गांगो देवी टीवी से ग्रसित हैं। समुचित इलाज नहीं करा पा रही हैं। गांगो कहती हैं कि दूसरे प्रदेश के ईंट-भट्ठा पर काम कर रही थी। तबीयत अक्सर खराब रह रही थी। तब वहां से लौटकर पिता प्रभु मांझी के घर आ गई। आते ही भारत बंदी हो गई। किसी तरह एक दिन पीएचसी कौआकोल पहुंची। जहां एक्सरे कराया। पैदल चलना मुश्किल है, इस कारण इलाज नहीं करा पा रही हूं। इसके पहले भी मेरे भाई टीवी से ग्रसित थे, जिनकी मृत्यु चार वर्ष पूर्व हो चुकी है। डोमन बाग अनुसूचित टोला में अक्सर लोग टीवी की शिकार होते रहे हैं। ऐसे सैकड़ों-हजारों मरीज हैं जो गांव-देहात में जरूरी दवाओं व चिकित्सीय परामर्श की उपलब्धता के अभाव में जीवन-मौत से संघर्ष कर रहे हैं। वाहनों का परिचालन ठप रहने के कारण मरीज गांव से शहर आकर चिकित्सक से इलाज नहीं करा पाते हैं। शहर किसी प्रकार पहुंच भी गए तो डॉक्टर मिल जाएंगे और इलाज हो जाएगा, यह भी बड़ा सवाल है। हालांकि ऐसे मरीजों के लिए जिला प्रशासन घर तक दवा पहुंचाने की बात कहती है, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है।
Posted By: Jagran
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