स्वास्थ्य एजेंसियां संक्रमित जिलों के प्रभावित इलाकों में बड़े पैमाने पर करेगी जाँच

देश में कोरोना के नए मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. इसके मद्देनजर सरकार ने मरीजों की जाँच की रणनीति में परिवर्तन किया है. अब इस बीमारी की चपेट में आए 274 जिलों में बड़े पैमाने पर बुखार प्रभावित लोगों की जाँच प्रारम्भ करने का निर्णय किया गया है. इसके लिए रैपिड टेस्ट प्रारम्भ किया जा रहा है

तथा जिन मामलों की दोबारा जाँच की आवश्यकता होगी, उनके स्वैब नमूने लेकर पुणे भेजे जाएंगे. आईसीएमआर की सिफारिश को स्वीकार करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मामले में राज्यों को आदेश जारी किए हैं. रैपिड जाँच किट खरीद की प्रक्रिया चल रही है, इसके प्राप्त होते ही स्वास्थ्य एजेंसियां संक्रमित जिलों के प्रभावित इलाकों में बड़े पैमाने पर जाँच करेंगी. जाँच के लिए जो मानक तय किए गए हैं, उनमें इनफ्लुएंजा लाइक इलनेस (आईएलआई) यानी जुकाम जैसे लक्षणों की बीमारी को आधार बनाया जाएगा. जिस आदमी में ऐसे लक्षण पाए जाएंगे, उसका रैपिड टेस्ट किया जाएगा. यह टेस्ट कुछ ही मिनटों में मौके पर ही कर लिया जाता है. इसमें वायरस की पुष्टि तो नहीं होती है, लेकिन उसके संक्रमण के फलस्वरूप बनने वाली एंटीबॉडीज के आधार पर टेस्ट किया जाता है. इस टेस्ट की प्रमाणिकता 80 प्रतिशत तक होती है.
रैपिड टेस्ट प्रसार रोकने में मददगार: स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बोला कि इसी हफ्ते यह टेस्ट शुरुआत हो जाएगा. इससे तीन फायदे हैं-एक तत्काल मरीजों की जाँच होने से उन्हें क्वारंटाइन करना संभव होगा व इससे रोग के फैलाव को रोकने में मदद मिलेगी. दूसरे, जिस जगह पर संक्रमण आया है, उस सारे क्षेत्र के सम्पर्क में आए या जुकाम वाले लोगों की जाँच होगी. तीसरे, सम्पर्क में आए उन लोगों की भी जाँच की जाएगी जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखे हैं.
जरूरत पर वायरोलॉजी जांच: आईसीएमआर ने रैपिड जाँच के लिए जो प्रोटोकाल तैयार किया है,उसमें टेस्ट की प्रमाणिकता को बेहतर बनाने की प्रयास की गई है. मसलन यदि किसी व्यक्तित में लक्षण हैं व उसकी हिस्ट्री भी कोविड संक्रमण के खतरे की ओर इशारा कर रही है, लेकिन उसकी जाँच रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो उसका वायरोलॉजी टेस्ट कराया जा सकता है. ऐसे मुद्दे में चिकित्सक मुद्दा दर मुद्दा फैसला ले सकेंगे. इस टेस्ट की रिपोर्ट का सरकार अलग से रिकार्ड तैयार करेगी.

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