अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को इन टिप्स के द्वारा बढ़ाए

कोरोना वायरस महामारी के दौर में बचाव ही सबसे बड़ा हथियार है. सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर इस वायरस के खतरे को घटाया जा सकता है.

आयुर्वेद विशेषज्ञों का बोलना है कि कई ऐसे तरीका हैं जिन्हें अपनाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है. आयुष मंत्रालय ने 150 एमएल गर्म दूध में आधी चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर दिन में एक से दो बार सेवन करने की सलाह भी दी है. साथ ही लोग तिल का या नारियल का ऑयल अथवा घी दोनों नाक में प्रातः काल शाम लगा सकते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले दिनों बोला था इलाज से बेहतर बचाव है. उन्होंने ट्वीट कर लोगों से अपील की है कि आयुष मंत्रालय ने पिछले दिनों आयुर्वेदिक ढंग से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले जिन तरीकों को साझा किया है, उन्हें अपनाएं. इन तरीकों में सारे दिन गर्म पानी पीने व हर रोज कम से कम 30 मिनट तक योग, प्रणायाम और ध्यान करने के अतिरिक्त खाने में हल्दी, जीरा, धनिया व लहसुन आदि का उपयोग करना और प्रतिदिन 10 ग्राम च्यवनप्राश लेना भी शामिल है.
वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के पूर्व वैज्ञानिक ए के एस रावत कहते हैं, "इन जड़ी-बूटियों से इंटरफेरोन व एंटीबॉडी की उत्पत्ति में मदद मिलती है जिससे आदमी के शरीर में विषाणुओं के विरूद्ध संभावित प्रतिरोधक क्षमता बढ़ पाती है. साथ ही कोशिकाशन (फैगसाइटोसिस) की दर भी बढ़ती है जो माइक्रोओर्गेनिज्म को नष्ट करने की शरीर की क्षमता तय करता है. इस तरह ये तत्व वायरल संक्रमण से लड़ने की शरीर की कुल दक्षता को बढ़ाते हैं."
हर्बल उत्पाद बनाने वाली एमिल फार्मा के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने पीएम मोदी के इस सुझाव का स्वागत करते हुए बोला कि इस वायरस से बचाव का उपाय यही है कि हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं. अगर कोई आदमी इससे संक्रमित हो जाए तो इससे लड़ कर जीतने में भी उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत जरूरी हो जाती है. उन्होंने बताया कि वायरस संक्रमण के विरूद्ध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए प्राचीन आयुर्वेदिक फामूर्ले पर आधारित हर्बल दवा फीफाट्रोल बहुत ज्यादा उपयोगी है. इसमें मृत्युंजय रस, संजीवनी वटी, तुलसी, गिलोय आदि का उपयोग किया गया है.

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