आखिर क्यों लगाते हैं वैष्णव तिलक, जानिए इसका महत्व

लोग कई प्रकार के तिलक लगाते है। कोई राख, कोई चंदन, कोई कुम-कुम तथा कोई सिंदूर का तिलक अपने माथे पर लगाता है। लेकिन वैष्णव तिलक गोपी-चन्दन नामक मिट्टी से लगाया जाता है। यह मिट्टी द्वारका से कुछ दूर एक स्थान पर पायी जाती है। जिस स्थान पर यह मिट्टी पाई जाती है उसके बारे में बताया जाता है कि भगवान कृष्ण जब धरती से अपनी लीलाएं समाप्त करके वापस गोलोक गए तो उनकी गोपियों ने इसी स्थान पर एक नदी में शामिल होकर में अपने शरीर त्यागे थे। तब से यहां की मिट्टी से यह वैष्णव तिलक लगाया जाता है।

वैष्णव तिलक गोपी
चन्दन से लगाया जाता है। गोपी-चन्दन को गीला करने भगवान विष्णु के नाम का उच्चारण करते हुए अपने माथे पर ‘V’ चिन्ह की तरह लगाए। वैष्णव तिलक को अपनी भुजाओं, वक्ष स्थल और पीठ पर भी लगाया जा सकता है। इस तिलक को देखते ही भगवान श्री कृष्ण का स्मरण होता है। यह तिलक मनुष्य के शरीर को एक मंदिर की तरह अंकित करता है। यह मानव शरीर को शुद्ध कर बुरे प्रभाव से रक्षा भी करता है।
वैष्णव तिलक का महत्व
वैष्णव तिलक का महत्व अनेक शास्त्रों एवं ग्रंथो में मिलता है। गर्ग संहिता के अनुसार जो मनुष्य प्रतिदिन गोपी-चंदन का वैष्णव तिलक धारण करता है। उसे एक हजार अश्वमेघ यज्ञों तथा राजसूय यज्ञों का फल प्राप्त होता है। इस तिलक को धारण करने वाले को समस्त तीर्थ स्थानों में दान देने तथा व्रत पालन करने का फल मिलता है। साथ ही वह जीवन में परम लक्ष्य को प्राप्त करता है। बताया यह भी जाता है कि प्रतिदिन गोपी-चंदन से वैष्णव तिलक धारण करने वाला पापी मनुष्य भी भगवान कृष्ण के धाम, गोलोक वृन्दावन को प्राप्त होता है। जो इस भौतिक संसार से बहुत परे है।

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