इन्फ्रा-रेड और अल्ट्रा-वॉयलेट किरणों से तबाह हो सकती है कोरोना की रफ्तार

गर्मियों के बड़े दिन और तेज होती धूप कोरोना वायरस के फ़ैल रहे संक्रमण की रफ्तार पर लगाम लगा सकती है , विशषकर खुली और मैदानी इलाको में इससे वायरस को रोकने में सहायक साबित हो सकती है।हाल ही ग्रीस के शोध संस्थानों ने सूर्य के निकलने वाले तेज प्रकाश में मौजूद इन्फ्रा-रेड व अल्ट्रा-वॉयलेट किरणों से इस संक्रमण के फैलने की रफ़्तार पर लगाम लगाने की बड़ी उम्मीद जाहिर की है। वैज्ञानिकों की माने तो सर्दियों के वातावरण में सूर्य के प्रकाश और दिनों की लम्बाई बढ़ेगी और इन किरणों की मौजूदगी के परिणाम सामने आ सकते है।साथ ही कृत्रिम इन्फ्रा-रेड और अल्ट्रा वायलट किरणों का इस्तेमाल सैनिटाइजेशन के लिए इस्तेमाल करना भी कारगर हो सकता है। इस शोध में इन वैज्ञानिकों द्वारा दावा किया गया है कि हाल ही चीन ने मुद्रा, बस, अस्पताल, और कई जगहों को सैनिटाइज करने के लिए इन कृत्रिम यूवी किरणों का उपयोग कर रहा है ,और खाद्य पदार्थों के विसंक्रमण के लिए भी इन्ही किर्णो का उपयोग किया जाएगा है। सूर्य के प्रकाश में महत्वपूर्ण तत्वों के रूप में आईआर व यूआर किरणें निकलती हैं,आईआर किरणें धरती के वातातवरण में गर्मी की लो-एनर्जी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के साथ आगे बढ़ाती हैं, और यूवी किरणें हाई-एनर्जी ईएम तरंगें पैदा करती हैं। सर्दी के मौसम में और बादल होने की स्थिति में भी सूर्य से निकली ये तरंगे धरती तक पहुंचती हैं, परन्तु कम वेवलैंथ के साथ । यह प्रमाणित किया जा चुका है कि अधिक ऊर्जा लिए यह यूवी किरणें किसी भी जीव के डीएनए और आरएनए में मौजूद न्यूक्लिक एसिड को ख़त्म कर सकती है साथ ही यह किरणों कई घातक वायरस व बैक्टीरिया को खत्म करने की ताकत रखती है ।

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