"अपनी जरूरतों के बाद भारत देगा मित्र देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरीनक्वीन"

नई दिल्ली. भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा है कि भारत अपनी घरेलू जरूरतों को ध्यान में रखने के बाद उन देशों को एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरीनक्वीन को आपूर्ति कर सकता है जहां कोरोना वायरस की वजह से महामारी जैसी स्थिति उत्पन्न हो चुकी है. भारत अपने जिन मित्र देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरीनक्वीन की आपूर्ति करने के लिए तैयार है उनमें अमेरिका, ब्राजील, रूस, इजरायल, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, अबू धाबी आदि प्रमुख देश शामिल हैं. इस बीच भारत ने साफ कर दिया है कि भारत महामारी के संभावित सबसे खराब स्थिति से निपटने के मद्देनजर अपनी आबादी के लिए दवा का स्टॉक कर रहा है और सभी भारतीयों के लिए पर्याप्त होने के बाद ही इस दवा का निर्यात किन देशों को कितना होगा, इस पर फैसला लिया जाएगा.

अमेरिका लगातार भारत से इस दवा की मांग कर रहा है. ट्रंप ने फोन पर पीएम मोदी से कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट्स की आपूर्ति की मांग की थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इस संबंध में मैंने रविवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और उन्होंने हमारी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के सप्लाई को अनुमति दे दी है, जिसकी हम सराहना करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि तो वह एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की सप्लाई नहीं भी4 करते हैं तो कोई बात नहीं. मगर हम इस पर जवाबी कार्रवाई करेंगे. आखिर हम इसका जवाब क्यों नहीं देंगे. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन दवा को कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए ट्रायल फेज में है और इसे अब तक कारगर माना जा रहा है.
भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है, जिसका उपयोग मलेरिया के के लिए किया जाता है. हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मलेरिया की दशकों पुरानी दवा है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 25 मार्च को इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी. हालांकि, डीजीएफटी ने कहा था कि मानवता के आधार पर मामले-दर-मामले में इसके कुछ निर्यात की अनुमति दी जा सकती है. कोरोना वायरस के मरीजों के लिए कारगर माने जा रहे एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. भारत ने एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात से आंशिक तौर पर बैन हटा दिया है.
भारत ने कहा कि घरेलू जरूरतों का हिसाब लगाने के बाद ही कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित देशों की मांग पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति को लेकर फैसला लिया जाएगा. यानी अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि किस देश को कितनी आपूर्ति की जाएगी. यह जानकारी इस मामले से जुड़े लोगों ने दी. इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी को फोन कर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति की गुहार लगाई है. भारत ने कहा है कि घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की उपलब्धता के आधार पर ही देशों द्वारा की गई मांग को मंजूरी दी जाएगी. उन्होंने कहा कि कोविड -19 महामारी से संबंधित मानवीयता के आधार पर फार्मास्यूटिकल्स विभाग और विदेश मंत्रालय इस तरह के इस दवा के निर्यात और आवंटन पर निर्णय लेगा.
वहीं, विदेश मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मानवीय पक्षों के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों (जो हमारी क्षमताओं पर निर्भर हैं) को उचित मात्रा में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पाारासिटामोल का लाइसेंस देगा. भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि हम इन आवश्यक दवाओं की आपूर्ति कुछ उन देशों को भी करेंगे जो विशेष रूप से महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

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