इसलिए सिंगल होने के बावजूद लड़कियों को नहीं होती बॉयफ्रेंड की ज़रुरत!!

जीवन में सुख-दुःख बाँटने के लिए किसी साथी का होना जरुरी होता है। लड़कियों के ऊपर यह ज़ोर डाला जाता है कि अकेली हो तो उदास हो और कोई न कोई बॉयफ्रेंड तो होना बनता ही है! सबको अपनी ज़िन्दगी जीने का हक़ है और लड़कियों पर भी ये बात उतनी ही लागू होती है जितनी कि लड़कों पर होती है।

लड़कियों को नहीं होती बॉयफ्रेंड की ज़रुरत:
# आजकल लड़कियों को भी अपने सपने पूरे करने हैं। जब काम से ही फ़ुर्सत नहीं है तो बॉयफ्रेंड के लिए वक़्त कैसे निकालें? वैसे भी यह इश्क़ मोहब्बत के लिए पूरी उम्र पड़ी है, लेकिन करियर तो जवानी में ही बनते हैं।
# बॉयफ्रेंड के साथ क्या खाना है, टीवी पर क्या देखना है, कैसे सोना है, इन सब बातों का ध्यान रखना पड़ता है पर सिंगल हो तो छख के खाओ, कैसे भी उलटे-पुल्टे होकर बिस्तर पर सो जाओ।
# मोबाइल फ़ोन ज़रुरत है पर हर वक़्त बॉयफ्रेंड के मैसेज आते रहें कि बेबी कहाँ हो, किसके साथ हो, कब मिल रही हो वगैरह-वगैरह के झंझट कौन पालना चाहता है? काम की जगह दिन भर फ़ोन पकड़ के बैठे रहो।
# अकेली हो तो किसी को इम्प्रेस करने की ज़रुरत नहीं है। लेकिन बॉयफ्रेंड हुआ तो हर चीज़ उसके मन की करो, उसे दिन भर इम्प्रेस करने की कोशिश करो।
# जवानी भरपूर ज़िन्दगी जीने का नाम है। रिलेशनशिप्स में ज़िन्दगी एक किस्म के ढर्रे पर चलती है जो शादी के बाद और भी प्रेडिक्टेबल हो जाती है तो जब तक सिंगल रहकर मज़े उठा सकते हैं, क्यों न उठाएँ।

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