आठ प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण का आदेश

जासं, छपरा : दर्पण प्लस एप पर डॉक्टर, नर्स एवं एएनएम की उपस्थिति मामले में लापरवाही को लेकर आठ प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण का आदेश सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने शनिवार को दिया।

उन्होंने सदर अस्पताल के उपाधीक्षक के अलावा रिविलगंज, दिघवारा, एकमा मशरक, परसा, मासूमगंज, बड़ा तेलपा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को 24 घंटे में जवाब देने को कहा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि इस मामले में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने सभी के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया है। दर्पण प्लस एप पर प्रतिदिन प्रत्येक पाली में चिकित्सकों तथा कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज करनी है। कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने तथा बचाव के लिए सरकार ने चिकित्सा कर्मियों की उपस्थिति की मॉनिटरिग के लिए दर्पण प्लस एप पर उपस्थिति दर्ज कराने के लिए निर्देश दिया। लेकिन इसका पालन नहीं किया गया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर सभी स्तर के अस्पतालों में चिकित्सा कर्मियों की ड्यूटी रोस्टर बनाकर ऑनलाइन की गई है। लेकिन मॉनिटरिग के दौरान 6 अप्रैल को चिकित्सा कर्मियों की उपस्थिति अंकित नहीं की गई।
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कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरतना चिकित्सकों को पड़ा महंगा
जासं, छपरा : महामारी के दौरान लापरवाही बरतने के आरोप में सरकार ने शनिवार को कार्रवाई शुरू की। सारण के दो व सिवान के तीन चिकित्सकों पर कार्रवाई हुई है। सरकार के संयुक्त सचिव अनिल कुमार ने कर्तव्य से अनुपस्थित पाए गये चिकित्सकों से तीन दिनों के अंदर स्पष्टीकरण का जवाब मांगा है। इनमें डेरनी एपीएचसी की डॉ. शाहिना तबस्सुम, अमनौर पीएचसी के डॉ तारकेश्वर सिंह तथा सिवान जिले के पचरुखी पीएचसी के डॉ सत्यप्रकाश सिंह, नौतन पीएचसी के डॉ अक्षय लाल सिंह, लकड़ी नवीगंज पीएचसी की डॉ श्यामा कुमारी से स्पष्टीकरण मांगा है।
पत्र में कहा है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 तथा महामारी अधिनियम 1897 के तहत दोषी चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी । उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस से उत्पन्न संक्रमण की रोकथाम के लिए विशेष चौकसी एवं अनुश्रवण की जा रही है। इसके लिए संविदा पर नियोजित तथा स्थाई नियुक्ति वाले सभी चिकित्सा कर्मियों के अवकाश को रद कर दिया गया है। बावजूद इसके जांच के दौरान एक एवं दो अप्रैल को इन्हें अनुपस्थित पाया गया। संयुक्त सचिव ने पांचों चिकित्सकों से स्पष्टीकरण में पूछा है कि क्यों नहीं आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 तथा महामारी एक्ट 1897 के तहत के अनुशासनिक एवं विभागीय कार्रवाई की जाए।
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Posted By: Jagran
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