वीडियो कांफ्रेंसिग से होगी मामले की सुनवाई

अररिया। कोरोना वायरस के वर्तमान समस्या के कारण सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश के बाद पहली बार अररिया सिविल कोर्ट के जिला जज पीयूष कमल दीक्षित ने बुधवार को वीडियो काफ्रेंसिग के माध्यम से अररिया जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय ठाकुर से रूबरू हुए। जिसे संघ के अध्यक्ष ने इस वार्तालाप को एक एतिहासिक क्षण बताते इसे सिस्टम टेस्टिग की बात कही है। इस डिजिटल युग में इस तरह कोर्ट द्वारा अधिवक्ताओं को घर बैठे इस सिस्टम के माध्यम कार्यवाही होना सराहनीय कदम बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि संसाधनों की कमी के कारण यह सिस्टम अधिवक्ताओं को काफी उलझन में डाल सकता है। अध्यक्ष ठाकुर ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश के बाद अररिया के जिला जज पीयूष कमल दीक्षित द्वारा अर्जेंट मामलों की सुनवाई के लिए वीडियो कांफ्रेस प्रारंभ किया गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में जिला जज श्री दीक्षित ने सिविल कोर्ट से ही विडियो काफ्रेसिग के माध्यम फारबिसगंज स्थित अपने निवास से अध्यक्ष ठाकुर से वीडियो काफ्रेंसिग के माध्यम एक दूसरे से रूबरू होकर बातें साझा किए। यह सिस्टम का टेस्टिग का सफल प्रयास रहा। इस अवसर पर एडीजे तृतीय रजनीश कुमार श्रीवास्तव भी रहे। यह एक एतिहासिक पल रहा, जहां अररिया सिविल कोर्ट के इतिहास में पहली बार वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम कोर्ट की कार्यवाही को साझा करते न्यायिक कार्यवाही को गति प्रदान करने का स्वागत योग्य प्रयास है। अध्यक्ष ठाकुर ने कहा कि न्यायिक इतिहास में यह पहली बार ही संभव हुआ कि सिविल कोर्ट में मौजूद न्यायिक पदाधिकारी अभियोजन पक्ष और अधिवक्तागण के बीच इस संचार माध्यमों द्वारा एक ही साथ व एक ही वक्त, न्यायिक प्रक्रिया को संचार माध्यमों के द्वारा कार्यवाही संपन्न होने कि दिशा में संभव हुआ। अब तक कोर्ट कक्ष में खचाखच भीड़ में यह कार्यवाही होती रही है। परन्तु आज के डिजिटल युग में न्यायालय भी अछूता नहीं रहा और अररिया के न्याय मंडल में वीडियो कांफ्रेसिग कोर्ट के द्वारा संचालित यह कार्य इतिहास में अंकित हो गया। अध्यक्ष ठाकुर ने न्यायिक पदाधिकारियों को संचार माध्यमों के माध्यम स्थापित नई व्यवस्था के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि भले ही लॉकडाउन के वक्त विडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम कोर्ट के न्यायिक अधिकारियों से अर्जेंट मामलों की सुनवाई के लिए सराहनीय कदम है। लेकिन इस कार्य को मूर्त रूप देने के पहले अधिवक्ताओं को संसाधनों की कमी से जुझना होगा। आखिर कोर्ट फीस, पेटिशन टाइपिग, वादी पक्ष के अधिवक्ताओं को कॉपी रिसिविग आदि के साथ आवश्यक संसाधन और इस सिस्टम की व्यवस्था व कार्य विधि आदि कई ऐसे आवश्यक बातें हैं, जिसे आसानी से सुलझाया नहीं जा सकता है।

तेज आंधी व बारिश से मक्के की फसल को भारी नुकसान यह भी पढ़ें
Posted By: Jagran
डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस

अन्य समाचार