लॉकडाउन का पालन करें, घर में रहें, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं

संवाद सूत्र, हवेली खड़गपुर(मुंगेर): कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर प्रधानमंत्री ने लॉकडउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा की है। राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री ने देशवासियों को सात मंत्र दिए। जिनमें एक मंत्र रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का भी है। प्रधानमंत्री ने इसके लिए आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने, गर्म पानी और काढ़ा का निरंतर सेवन करने की भी बातें कही। तो आइए जानते हैं कुछ घरेलू चीजों के बारे में जिनसे इम्यूनिटी बढ़ाई जा सकती है। आयुष मंत्रालय ने अपने जारी निर्देश में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रत्येक सुबह एक चम्मच च्यवनप्राश का सेवन करने, 150 मिलीलीटर गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर दिन में एक या दो बार पीने, तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सूखी अदरक और मुनक्का से बनी हर्बल चाय व काढ़ा दिन में एक या दो बार पीने का गाइडलाइन दिया है।

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आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में च्यवनप्राश बेहद मददगार होते हैं। आयुर्वेद में च्यवनप्राश को सबसे बढि़या रसायन माना गया है। इसमें आंवला, अश्वगंधा, शतावरी, गिलोय, दालचीनी, लौंग सहित लगभग चार दर्जन जड़ी बूटियां डाली जाती है। जिसका रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में जबर्दस्त योगदान है। मेडिकल साइंस कहता है कि शरीर मे अगर आइजीई का लेवल कम हो तो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। च्यवनप्राश के सेवन से शरीर में आइजीई का लेवल कम होता है ।
रामचरित्र प्रसाद सिंह, आयुर्वेद के जानकार
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एलोपैथी में कुछ खास किस्म की दवाएं लगातार लेने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती हैं। एलोपैथी में डॉक्टर बीमारियों का डायग्नोसिस करते हैं और फिर उसका इलाज किया जाता है। सलाह यही है कि आप अपने खान पान का ध्यान रखें, विटामिन से भरपूर खाना लें।
डॉ. वरुण कुमार
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शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी करने में यौगिक क्रियाएं बेहद फायदेमंद हैं। कपालभांति, अग्निसार क्रिया, सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, उत्तानपादासान, कटिचक्रासन, सेतुबंधासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, नौकासन, मंडूकासन, अनुलोम विलोम, प्राणायाम, उज्जायी प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, भ्रामरी और ध्यान करने से शरीर के ब्लड सर्कुलेशन में बढ़ोतरी होती है। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
रामप्रीत सिंह, योग के जानकार
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जानकारों के अनुसार रोग के उपचार का तरीका
बुखार : मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडी जुकाम और बुखार के विषाणुओं सहित सभी प्रकार के कीटाणुओं व विषाणुओं को नष्ट करके शारीरिक इम्यून सिस्टम को अच्छा करता है और साथ ही यह बच्चे को हाइड्रेटेड रखता है। यह शिशुओं में बुखार को खत्म करने के लिए सर्वोत्तम प्राकृतिक उपचारों में से एक है। खांसी व जुकाम : लहसुन और अजवाइन, खांसी व जुकाम के लिए शक्तिशाली इलाज हैं। क्योंकि इनमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं। यह मिश्रण बच्चों में जुकाम के लिए एक बेहतरीन उपचार है। लहसुन की कली दो पीस और एक चम्मच अजवाइन लेकर उन्हें सूखा भून लें। ठंडा होने के बाद, भुने हुए लहसुन व अजवाइन को एक मलमल के कपड़े में रखकर कसकर बांध लें। इस पोटली को शिशु के पालने के पास रखें। ताकि अजवाइन और लहसुन की सुगंध शिशु को आराम प्रदान करें। शिशु को जुकाम के कारण होने वाली किसी भी समस्या का उपचार इस पोटली से किया जा सकता है। पोटली को शिशु के बहुत पास न रखें, क्योंकि इसकी तीव्र महक से बच्चे का गला चोक हो सकता है। सरसों का तेल, लहसुन और अजवाइन में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं। इसके मिश्रण से शिशु के सीने में व तलवे में मालिश करने से उसे अधिक आराम मिलता है। एक कप का चौथाई भाग सरसों के तेल को गर्म करें और इसमें दो कुटी हुई लहसुन की कलियां और अजवाइन मिलाएं। इस मिश्रण को भूरा होने तक पकाने के बाद, इस तेल से शिशु की छाती और उसके तलवों की मालिश करें।
Posted By: Jagran
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