लॉकडाउन में रहना है स्वस्थ तो सात घंटे की नींद जरूरी, जानें कैसी होनी चाहिए आपकी दिनचर्या

लॉकडाउन की अपनी मुश्किलें हैं, पर अच्छी बात ये है कि इससे जान सुरक्षित है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि लोगों की आदतें बिगड़ रही हैं, जिसका असर बॉडी क्लॉक पर पड़ रहा है। सबसे अधिक रात की नींद प्रभावित हो रही है, जिसके कारण वे तनाव, अनिद्रा और अवसाद की ओर जा रहे हैं। रात को सात घंटे की नींद व दिनचर्या के पालन से ही स्वस्थ रह सकते हैं। साइकोलॉजिस्ट और सिडनी यूनिवर्सिटी में मेडिसिन विभाग के प्रो. निक ग्लोजियर का कहना है कि अगर दिन में बहुत अधिक सो लेते हैं तो सामान्य दिनों में रात में जितनी नींद लेते होंगे उससे 30 से 45 मिनट बाद ही सो पाएंगे। अगर आप दिन में बहुत देर तक सो रहे हैं तो ये बॉडी क्लॉक खराब होने का शुरुआती लक्षण है, जिसका मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

प्रो. निक के मुताबिक, एक वयस्क व्यक्ति को रात को सात से साढ़े सात घंटे की नींद लेनी चाहिए। जब आप रात को गहरी नींद में सोते हैं तो मस्तिष्क न्यूरोट्रांसमीटर बनाता है जिससे व्यक्ति जब सुबह उठता है तो वह खुद को ऊर्जावान और तरोताजा महसूस करता है। अगर आप तय समय से पहले ही बिस्तर पर सोने चले गए तो मस्तिष्क आपको उठे रहने के लिए कहेगा क्योंकि उस वक्त वो उतने न्यूरोट्रांसमीटर नहीं बने होते हैं। इस कारण आपको अच्छी नींद नहीं आएगी और जब आप उठेंगे तो थकावट महसूस करेंगे।
दिन में सोने की बजाए खुद को व्यस्त रखें डॉक्टरों का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान 70 फीसदी लोग वर्क फ्रॉम होम होने के बाद भी कुछ समय सो रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए अच्छा ये होगा कि लोग दिन में खुद को व्यस्त रखें ताकि रात को अच्छी नींद आए। ये आदत आने वाले समय के लिए खराब है। जब स्थितियां सामान्य होंगी और काम पर लौटेंगे तो आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
सोने जाने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें बिस्तर पर सोने के लिए जा रहे हैं तो मोबाइल और गैजेट्स से दूरी बनाकर रखें। आप दोस्तों और परिवार के सदस्यों से कॉल, वीडियो चैट से बातकर खुद को बहला सकते हैं। इससे आपका तनाव कम हो सकता है लेकिन इससे आप रात को चैन की नींद सो पाएंगे इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लंबे समय तक टीवी, लैपटॉप, आईपैड, मोबाइल का इस्तेमाल करने से आंखों में दर्द की शिकायत भी हो सकती है। इसलिए समय-समय पर आंखों को आराम देते रहें।
घर पर ये तरीके अपनाएं सुबह समय से दैनिक क्रिया को करें नहाने के बाद कुछ समय ध्यान लगाएं व्यायाम और योग करें मन शांत रहेगा घर-परिवार के लोगों के साथ समय बिताएं जो अकेले हैं वो अपने पसंदीदा काम करें आलस्य न करें, कुछ नया सीखने की कोशिश करें
दिनचर्या ठीक तो शरीर पूरी तरह ठीक प्रो. निक बताते हैं कि दिनचर्या ठीक रहेगी तो सांस की गति बेहतर रहेगी। रक्त प्रवाह संतुलित रहेगा और तंत्रिका तंत्र अपना काम बेहतर ढंग से करता है। इसका सीधा असर हृदय गति पर पड़ता है। इससे शरीर आराम महसूस करता है और उसमें ऊर्जा बनी रहती है।

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