एईएस पीडि़त बच्चों की जान बचा रहीं आंगनबाडी सेविका, इनकी सक्रियता देख डीएम ने की यह घोषणा

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। गर्मी की धमक के साथ ही एईएस प्रभावित मीनापुर प्रखंड में भी बच्चों के बीमार होने का सिलसिला शुरू हो गया है। हालांकि स्वास्थ्य व बाल विकास विभाग की मुस्तैदी से अब तक दस बच्चों में बीमारी के लक्षण मिलते ही आंगनबाडी सेविकाओं ने एंबुलेंस से उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया। उधर, सेविकाओं द्वारा बारिश व ओलावृष्टि जैसे विषम हालात में भी देर रात पीडि़त बच्चों को अस्पताल पहुंचाने पर डीएम डॉ.चंद्रशेखर सिंह ने उनकी हौसला आफजाई की है। उन्होंने घोषणा की है कि मासूमों की जान बचाने में बेहतर कार्य करनेवाली सेविकाओं को सम्मानित किया जाएगा।

रविवार को चांद परना महदेइया से एक बच्चे में लक्षण मिलने पर सेविका ने एंबुलेंस से उसे अस्पताल भिजवाया। वहीं, शनिवार देर रात महदेइया की सेविका निभा कुमारी और नंदना की सेविका सिमरन कुमारी व रीमा कुमारी ने एक-एक बच्चे को तुरंत अस्पताल पहुंचाकर जान बचाई। सीडीपीओ मीनापुर पुष्पा कुमारी ने बताया कि पिछले साल यहां 18 बच्चों की मौत इसी बीमारी से हो गई थी। इस बार एक भी बच्चे को एईएस से मरने नहीं दिया जाएगा।
इसके लिए हर आंगनबाड़ी केंद्र पर कोर कमेटी गठित की गई है। सेविका डोर-टू-डोर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैंं। पर्याप्त मात्रा में ओआरएस व पैरासिटामोल उपलब्ध कराया गया है। मीनापुर की सेविका एईएस बैरियर का काम कर रही हैं। अलग-अलग जगहों से सूचना मिलने पर तेज बुखार से पीडि़त बच्चों को एंबुलेंस व बाइक की मदद से पीएचसी लाईं। वहां तुरंत इलाज शुरू होने से सभी बच्चों की हालत में सुधार हुआ है। हर वार्ड स्तर पर स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ सेविका काम कर रही हंै।
बताते चलें कि अब तक नंदना से दो, महदेइया से तीन, मनिक्कपुर, मीनापुर, हाराका मान शाही, राघोपुर व पिपरहा असली से एक-एक बच्चे को एईएस के लक्षण मिलने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
नौनिहालों को एईएस की जद में जाने से बचा रही सेविकाओं की टीम
एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) प्रभावित मीनापुर में बुखार पीडि़त बच्चों को समय पर अस्पताल पहुंचाकर सेविकाओं की टीम ने जान बचाई। इसकी सूचना जिला कंट्रोल रूम को दी गई। सिविल सर्जन डॉ.एसपी ङ्क्षसह ने बताया कि तेज बुखार के साथ चमकी एईएस का लक्षण है। अगर समय पर पीडि़त बच्चे को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच जाती है। विलंब होने पर स्थिति खराब हो जाती है। बच्चों को एईएस से बचाने के लिए चिकित्सक, पारा मेडिकल स्टाफ व आशा के साथ आंगनबाड़ी सेविका की भूमिका महत्वपूर्ण है।

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