एमयू में शुरू होगी माइक्रोबायोलॉजी की पढ़ाई

जागरण संवाददाता, मुंगेर : आज विश्व कोरोना संक्रमण की त्रासदी झेल रहा है। सभी देश विषाणुओं की जांच, पहचान व उससे बचाव के साथ शोध की आधारभूत संरचना की कमी से जूझ रहा है। इस समय मुंगेर विश्वविद्यालय ने रोजगार की बेहतर संभावनाओं वाले माइक्रोबायोलॉजी विषय की पढ़ाई शुरू करने की कवायद तेज कर दी है। राजभवन से भी इसकी स्वीकृति मिल गई है। विवि द्वारा माइक्रोबॉयलॉजी के दो एसोसिएट प्रोफेसर, दो असिस्टेंट प्रोफेसर सहित सहायक विषयों के छह शिक्षकों के पद सृजन का प्रस्ताव बिहार सरकार के पास भेजा गया है जिसकी प्रक्रिया अंतिम चरण में है। पद सृजन की स्वीकृति मिलते ही विभाग खोले जाएंगे व शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। सब कुछ ठीक रहा तो शीघ्र ही माइक्रोबायोलॉजी की पढ़ाई मुंगेर विश्वविद्यालय में शुरू होगी।


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कितने वर्ष का होगा कोर्स
मुंगेर विवि में माइक्रोबायोलॉजी विषय की पढ़ाई शुरू होगी जिसमें पांच साल, दो साल व एक साल के कोर्स होंगे। जिसमें बीएसएसी, पीजी एवं डिप्लोमा कोर्स शामिल है। इंटर पास करने वाले छात्र पांच साल के कोर्स में नामांकन ले सकते हैं जबकि बीएससी पास छात्र दो साल के कोर्स कर पीजी की डिग्री प्राप्त कर सकते है। वहीं एक साल का डिप्लोमा कोर्स भी होगा।
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रोजगार की असीम संभावनाएं
कुलपति ने बताया कि माइक्रोबायोलॉजी विषय में सूक्ष्म जीवों जैसे प्रोटोजोआ, एल्गी, बैक्टीरिया व वायरस का गहराई से अध्ययन किया जाता है। जीवाणुओं के जीवजगत पर अच्छे व बुरे प्रभावों के बारे जानकारी दी जाती है। आज नई-नई बीमारियों के सामने आने से माइक्रोबायोलॉजिस्ट की जरूरत आज कई उद्योगों में पड़ रही है। ये अवसर सरकारी व निजी, दोनों क्षेत्रों में मिल रहे हैं। इस क्षेत्र के जानकार दवा कंपनियों, वॉटर प्रोसेसिग प्लांट्स, चमड़ा व कागज उद्योग, फूड प्रोसेसिग, फूड बेवरेज, रिसर्च एवं डेवलपमेंट सेक्टर, बायोटेक व बायो प्रोसेस संबंधी उद्योग, प्रयोगशालाओं, अस्पतालों, होटल, अनुसंधान एवं अध्यापन के क्षेत्र में भी रोजगार की असीम संभावना है।
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कोट ::
मुंगेर विश्वविद्यालय में माइक्रोबायोलॉजी की पढ़ाई शुरू होगी। जिसकी प्रक्रिया अंतिम चरम में है। बिहार सरकार द्वारा इस विवि के लिए स्वीकृत स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज में इस विषय में स्नातकोत्तर पढ़ाई के अतिरिक्त डिप्लोमा आदि की पढ़ाई की स्वीकृति दी है। इस विषय में शोध का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। विश्व में अब विषाणुओं की जांच, पहचान, शोध आदि के लिए निश्चय ही केंद्र, प्रयोगशाला आदि बढ़ेंगे और तब माइक्रोबॉयलॉजी के वैज्ञानिकों की आवश्यकता पड़ेगी तथा रोजगार के अवसर खुलेंगे। माइक्रोबॉयलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर के दो, असिस्टेंट प्रोफेसर के दो व सहायक विषयों के छह शिक्षकों के पदों के पद सृजन की स्वीकृति के लिए भेजा गया था। जिसकी प्रकिया अंतिम चरण में है। जिसके बाद विभाग खोले जाएंगे व शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाएगी। प्रथम चरण में कुछ अंगीभूत कॉलेजों में पढ़ाई होगी।
प्रो. रंजीत कुमार वर्मा, कुलपति, मुंगेर विश्वविद्यालय
Posted By: Jagran
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