रामायण के श्रीराम-सीता का अनुसरण कर हर पति-पत्नी को लेनी चाहिए ये खास सीख

कोरोना वायरस के वजह से लागू किए गए लॉकडाउन के समय को बिताने के लिए रामायण का फिर से प्रसारण किया जा रहा है। हिंदू धर्म में रामायण का खास महत्व है। ऐसे में रोजाना रामायण देखने के बाद लोग इनके पात्रों से कुछ न कुछ जरूर सीख ले रहे हैं। रामायण के सभी पात्र इतने महान और त्याग भावना से भरपूर थे कि आज के जमाने में ऐसे लोगों को खोजना थोड़ा मुश्किल है। अगर इन पात्रों के जीवन से थोड़ी सी भी सीख ली जाए तो जीवन जीना तो आसान होगा ही और रिश्ते भी बेहतर हो जाएंगे। उदाहरण के लिए रामायण में श्री राम और सीता के किरदार से प्रेरणा लेकर अगर कुछ बातें जीवन में अपना ली जाएं तो शादी-शुदा जीवन जीना आसान और बेहतर हो जाएगा। आज हम आपको श्री राम और सीता के जीवन की कुछ घटनाओं के बारे में बताएंगे, जिसका अनुसरण हर पति-पत्नी को करना चाहिए।

पति-पत्नी एक-दूसरे का दें साथ भगवान श्री राम को जब 14 वर्षों का वनवास मिला तो मां सीता को उनके साथ जाने के लिए कोई बाध्यता नहीं थी। इसके बावजूद भी मां सीता ने पत्नी धर्म का सम्मान रखते हुए वनवास गईं। लेकिन उस काल के अपेक्षा इस काल में कई चीजों का अंतर है। हालांकि रामायण के इस प्रसंग से हर पति-पत्नी को ये सीख लेनी चाहिए कि उन्हें हर समय एक-दूसरे के साथ रहना चाहिए। विपरीत परिस्थितियों में भी साथ नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसी परस्थिति में एक साथ लड़ने से कई चीजें आसान हो जाती हैं।
पैसा सब कुछ नहीं होता राजसी सुविधाओं में रहने वाली मां सीता पति का साथ देने के लिए सुख-सुविधा को त्यागने में एक पल भी नहीं सोचा। क्योंकि इस समय पति का साथ देना ही सबसे ज्यादा जरूरी था। हालांकि आजकल के दौर में ऐसी चीजें देखने को बहुत कम मिलती हैं। शादी से पहले ही लोग अपने पार्टनर का स्वभाव और उसके कमाई के बारे में पता लगा रहे हैं। राजसी ठाठ-बात हो या वन यानी कि बड़ा आलिशान बंगला हो या छोटा सा घर, अगर पति-पत्नी का एक-दसूरे के प्रति प्रेम और सम्मान बना रहे तो उनकी खुशियों पर किसी भी चीज का कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता है।
पतिव्रता-पत्नीव्रता (एक-दूसरे के प्रति सच्चा प्रेम) रावण ने जब मां सीता का हरण कर लिया तो उन्होंने अपनी अस्मिता को एक तिनके के सहारे कायम रखा और अंत तक रावण के आगे नहीं झुकीं। इस तरह से मां सीता ने अपनी पत्नी धर्म को बखूबी निभाया। वहीं अश्वमेघ यज्ञ में मां सीता की अनुपस्थिति पर भगवान श्री राम ने उनके सोने की प्रतिमा बनवाकर अपने साथ बैठाया। भगवान श्री राम जी मां सीता के चले जाने के बाद भी अपने वचन को निभाते हुए दूसरी शादी नहीं की। इस प्रसंग से यही सीख लेनी चाहिए कि पति-पत्नी के बीच सच्चा प्यार हो तो दूरियों से रिश्ते पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
पत्नी का सम्मान और सुरक्षा सबसे पहले रावण ने जब मां सीता का हरण कर लिया तो जितनी परेशान मां सीता थी उससे कहीं ज्यादा विचलित भगवान श्री राम थे। पत्नी के सम्मान के लिए उन्होंने राक्षसों के साथ युद्ध कर उनका विनाश किया। अगर चाहते तो हनुमान जी आसानी से मां सीता को वापस ला सकते थे लेकिन पत्नी की रक्षा और सम्मान के प्रति प्रतिबद्ध भगवान श्री राम जी ने अपने पतिव्रता का पालन किया।

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