5 मौके जब खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दिखाई खेल भावना

क्रिकेट को जेन्टलमैन गेम कहा जाता है. इस खेल में खिलाड़ी एक-दूसरे के खिलाफ मैदान पर आक्रामक रवैया अपनाते नजर आते हैं तो वहीं कई ऐसे मौके भी आते हैं जब खिलाड़ी इस खेल का सिर गर्व से ऊंचा कर देते हैं.

जी हां, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कई सैकड़ों बार खिलाड़ियों ने खेल भावना का परिचय दिया है. जिसे देखकर खेल प्रशंसक काफी सराहते हैं और वह मौके इस खेल को और भी अधिक खास बना देते हैं. तो आइए इस आर्टिकल में आपको उन 5 मौकों के बारे में बताते हैं जिसमें खिलाड़ियों ने दिखाई खेल भावना.
5 उदाहरण जब खिलाड़ियों ने दिखाई खेल भावना
1- अजिंक्य रहाणे - अफगानिस्तान क्रिकेट टीम

भारतीय क्रिकेट टीम के उप कप्तान अजिंक्य रहाणे शालीनता पसंद करते हैं. वह बल्लेबाजी भी शालीनता से करते हैं और क्रिकेच मैदान पर भी उन्हें आक्रामक नहीं देखा जाता. 2018 में भारत-अफगानिस्तान के बीच टेस्ट सीरीज में नियमित कप्तान विराट कोहली ने आराम लिया था.
तब टीम की कमान उप कप्तान अजिंक्य रहाणे को सौंपी गई थी. इस दौरान भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सीरीज पर कब्जा जमा लिया. ये अफगानिस्तान क्रिकेट टीम की तरफ से खेली जाने वाली पहली टेस्ट सीरीज थी.
जीत दर्ज करने के बाद भारतीय कप्तान अजिंक्य रहाणे ने विपक्षी अफगानिस्तान की टीम के सभी सदस्यों को स्टेज पर बुलाकर साथ में तस्वीरें खिंचवाईं और साथ ही उनके प्रयासों की भी तारीफ की. रहाणे ने ऐसा करके खेल भावना का परिचय दिया.
2- विराट कोहली - स्टीव स्मिथ (आईसीसी विश्व कप 2019)

आईसीसी विश्व कप 2019 में भारतीय क्रिकेट टीम और ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के बीच खेले गए लीग मैच में टीम इंडिया ने शानदार जीत दर्ज की थी. मगर इस मैच में भारतीय कप्तान विराट कोहली ने खेल भावना का परिचय दिया था.
असल में विश्व कप 2019 इंग्लैंड की मेजबानी में खेला जा गया. इस दौरान जब स्टीव स्मिथ मैदान पर थे तो क्रिकेट प्रशंसक स्मिथ को चीटर-चीटर कहकर बुला रहे थे. तभी भारतीय कप्तान विराट कोहली ने बल्लेबाजी के दौरान रुक कर भारतीय प्रशंसकों से स्मिथ को चियर करने का इशारा किया था.
फिर मैच के बाद जब वह प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए आए तब भी उन्होंने क्रिकेट फैंस से अच्छा व्यवहार करने के लिए कहा था. विराट को इस खेल भावना के लिए स्पिरिट ऑफ द ईयर के खिताब से नवाजा गया.
3- एडम गिलक्रिस्ट - श्रीलंका (आईसीसी विश्व कप 2003)

सालों तक विश्व क्रिकेट पर राज करने वाली ऑस्ट्रेलिया टीम की बल्लेबाजी शैली काफी आक्रामक थी. मगर आईसीसी विश्व कप 2003 में खेले गए सेमीफाइनल मैच के दौरान ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर-बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया.
बल्लेबाजी कर रहे गिलक्रिस्ट, अरविंद डी सिल्वा की गेंद पर विकेटकीपर कुमार संगकारा ने कैच लिया. मगर आश्चर्यजनक रूप से, अंपायर रुडी कोएर्टजन ने उनकी अपील ठुकरा दी. जैसे ही श्रीलंका के खिलाड़ियों ने अंपायरिंग की गड़गड़ाहट पर हामी भरी, तभी गिलक्रिस्ट पवेलियन की तरफ लौट गए और उन्होंने कहा कि वह आउट हैं.
जी हां, अंपायर के नॉट-आउट कॉल के बावजूद गिलक्रिस्ट पवेलियन की ओर चलने लगे. अब जब भी विश्व क्रिकेट में खेल भावना की बात होती है तो गिलक्रिस्ट द्वारा किए गए इस कारनामे को याद किया जाता है.
4- केन विलियमसन - कार्लोस ब्रैथवेट ( आईसीसी विश्व कप 2019)

न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम को उनके प्रदर्शन के साथ-साथ उनकी खेल भावना के लिए काफी अधिक जाना जाता है. टीम के कप्तान केन विलियमसन मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में अपना धैर्य नहीं खोते. ये तो आपने आईसीसी विश्व कप 2019 के फाइनल मुकाबले में बिना हारे खिताब गंवाने के बाद भी देखा ही था.
इसके अलावा वेस्टइंडीज के साथ खेले गए लीग मैच के दौरान केन विलियमसन की टीम ने 5 विकेट से जीत दर्ज की थी. 8 विकेट के नुकसान पर 292 रनों का लक्ष्य विंडीज को दिया. जवाब में वेस्टइंडीज टीम ने लक्ष्य की तरफ काफी अच्छी तरफ कदम बढ़ाए.
मगर आखिर में 101 रन पर खेल रहे कार्लोस ब्रैथवेट ने 49वें ओवर में कार्लोस ब्रैथवेट ने जीत दर्ज करने के लिए बल्ला खोला, लेकिन बॉल बाउंड्री के पास खड़े फील्डर ने लपक ली और दसवां विकेट विंडीज ने ब्रैथवेट के तौर पर गंवा दिया. इसी के साथ किवी टीम जीत गई और वेस्टइंडीज जीत से एक कदम दूर रह गई. तभी केन विलियमसन ने मैदान पर ही घुटने पर निराश होकर बैठे ब्रैथवेट के सिर पर हाथ रखते हुए उनके प्रयासों के लिए उत्साहवर्धन किया.
5- एंड्रयू फ्लिंपॉफ - इंग्लैंड ( एशेज 2005)

इंग्लैंड क्रिकेट टीम और ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के बीच खेली जाने वाली सम्मानित एशेज सीरीज दोनों ही टीमों के लिए काफी अहम होती है. 2005 में खेली गई एशेज सीरीज को इतिहास की सबसे रोमांचक एशेज सीरीज माना जाता है.
दोनों ही टीमों ने शानदार प्रदर्शन कर बहुत ही करीब-करीब से जीत-हार दर्ज की. इंग्लैंड ने इस सीरीज को 2-1 से जीत लिया. मगर इसके बाद एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने जो किया वह क्रिकेट इतिहास में खेल भावना वाले पन्ने पर दर्ज हुआ.
असल में आखिरी मैच में जब ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज ब्रेंटली मैदान पर ही घुटने पर बैठकर दुखी हो रहे थे. तभी जीत का जश्न मना रही अपनी टीम से अलग फ्लिंटॉफ ने ब्रेटली की तरफ आए और उन्होंने उनके शानदार प्रदर्शन के लिए उनका हौंसला बढ़ाया.

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