क्या अंतर है हेपेटाइटिस ए और बी में

जयपुर हेल्थ। लिवर (यकृत) में सूजन आने को हेपेटाइटिस कहते हैं। यह मुख्यतः दो प्रकार के होते है टाइप 'ए' और टाइप 'बी' ।

हेपेटाइटिस की बीमारी मुख्यता एक वायरस के कारण होती है, लेकिन कभी-कभी यह बैक्टीरिया के संक्रमण अथवा दवाइयों के साइडइफेक्ट के कारण भी हो सकता है। वायरस के कारण होने वाले हेपेटाइटिस के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, इसलिए इसमें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। हेपेटाइटिस की दो अवस्थाएं होती हैं, पहली, प्रारंभिक यानि की एक्यूट और दूसरी पुरानी अर्थात क्रॉनिक।
हेपेटाइटिस की प्रारंभिक अवस्था शुरू के तीन महीनों तक रहती है। लेकिन यदि छः माहिनों तक इसका इलाज नहीं हो तो यह क्रॉनिक हेपेटाइटिस का रूप ले लेती है। शुरुआती दौर में यदि हेपेटाइटिस के साथ पीलिया हो जाए और इसका उपचार ठीक से न हो तो यह क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी या सी का रूप ले लेती है।
और यदि इसके बाद भी इसका उचित इलाज न हो तो यह लिवर सिरोसिस में परिवर्तित हो जाती है जिसके कारण पूरा लिवर खराब हो जाता है। इसके कारण लिवर का कैंसर भी हो सकता है। हेपेटाइटिस ए' एक वायरल बीमारी है।
इस बीमारी में लिवर में सूजन हो जाती है इसे वायरल हेपेटाइटिस भी कहते हैं। इस बीमारी में लिवर रक्त से बिलीरूबिन को छान नहीं पाता है, हालांकि हेपेटाइटिस के सभी रूपों में हेपेटाइटिस ए सबसे कम गंभीर है।

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