इन पांचों चीजों से मिलकर बनता है पंचांग, भगवान राम भी करते थे इसका अध्ययन

पंचांग पूरी तरह से वैज्ञानिक विधि पर आधारित है. इसमें नक्षत्रों, सूर्य और चंद्रमा की गाति को विशेष माना जाता है. पंचांग यानि पांच कारक. पंचांग के अनुसार ये पांच कारक तिथि, योग, करण, वार और नक्षत्र है. पंचांग इसके अनुसार गणना और कार्य करता है इसीलिए इसे विद्वानों ने पंचांग नाम प्रदान किया.

पंचांग के अनुसार एक साल में 12 महीने होते है और इस में एक दिन को एक तिथि कहते है, इस तिथि की समय अवधि 19 से 24 घंटों तक की हो सकती है. पंचांग के अनुसार हर माह में तीस दिन होते है और इन महीनों की गणना सूरज और चंद्र की गति के आधार पर सुनिश्चित की जाती है.
सूर्य और चंद्रमा ही ऐसे ग्रह है जिन्हें आंखों से देखा जा सकता है. इसमें से चन्द्रमा की कलाओं के ज्यादा होने या कम होने के अनुसार ही महीने को दो पक्षों में बांटा गया है. ये दो पक्ष कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष कहलाए जाते हैं. पंचांग के अनुसार इस समय शुक्ल पक्ष का आरंभ हो चुका है. अमावस्या और पूर्णिमा के बीच के अंतराल को शुक्ल पक्ष माना गया है. अमावस्या के बाद के 15 दिन इस पक्ष में आते है.
अमावस्या के अगले ही दिन से चन्द्रमा का आकर बढ़ना शुरू हो जाता है. जिससे रात कम अंधेरी नजर आती है. क्योंकि चंद्रमा की रोशनी तेज हो जाती है. शुभ कार्यों को लिए शुक्ल पक्ष को सबसे उत्तम माना गया है. शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के पर्व के रूप में मनाए जाने के पीछे भी कहीं न कहीं यही मान्यता है. मान्यता है कि शुक्ल पक्ष की तृतीया अक्षय होती है. इस दिन किए गए कार्यों का व्यक्ति को जीवन में अक्षय फल प्राप्त होता है.
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