शिक्षकों के वेतनवृद्धि पर कोरोना की मार, काम पर लौटने की अपील



रोहतास। समान काम, समान वेतनमान समेत अन्य मांगों को ले बीते दो माह से हड़ताल पर रह रहे नियोजित शिक्षकों से विभाग ने एक बार फिर काम पर लौटने की अपील की है। वहीं 31 दिसंबर 1995 के बाद नियुक्त होने व 12 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले शिक्षकों को दी जाने वाली वरीय वेतनमान वृद्धि की स्वीकृति संबंधी पूर्व में निकले आदेश पर पर भी रोक लगा दी गई है। एक दिन पूर्व वीडियो कांफ्रेसिग में अपर मुख्य सचिव से मिले निर्देश के बाद डीईओ ने हड़ताली शिक्षकों को अपने ड्यूटी पर लौटने का आग्रह किया है। प्रारंभिक शिक्षकों को अपने प्रखंड के बीईओ तथा माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों को डीपीओ माध्यमिक शिक्षा के कार्यालय में योगदान करने को कहा है।

डीईओ प्रेमचंद्र ने कहा है कि कोविड 19 के कारण अगले डेढ़ साल तक किसी भी प्रकार के वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई है। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए हड़ताल पर गए शिक्षक सक्षम अधिकारी के समक्ष योगदान कर कार्य पर लौट आएं। शिक्षकों के सेवा में किसी प्रकार की टूट नहीं मानी जाएगी। कहा कि नियमावली में यह स्पष्ट है कि लगातार तीन महीने से अधिक दिन तक अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों की सेवा स्वत: समाप्त मानी जाएगी। वहीं डीपीओ स्थापना सुमन शर्मा ने कहा ने भी इसकी पुष्टि की। बताते चले कि शुक्रवार को शिक्षा विभाग की हुई वीडियो कांफ्रेसिग में अपर मुख्य सचिव ने डीईओ समेत अन्य अधिकारियों को निर्देश दिया था कि हड़ताल पर गए शिक्षकों को कोविड 19 को देखते हुए मानवीय के आधार पर योगदान करने की अपील करें। योगदान करने वाले शिक्षकों को कार्यरत अवधि व योगदान के बाद की अवधि का वेतन भुगतान भी सुनिश्चित करें। हड़ताल अवधि के दौरान नियमानुसार नो वर्क, नो पेमेंट का सिद्धांत लागू रहेगा। साथ ही यह भी कहा था कि जुलाई 2019 में पांचवें चरण के हुए शिक्षकों का वेतन भुगतान शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच संबंधित संस्थान से कराने के उपरांत ही की जाएगी।
Posted By: Jagran
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