लखीसराय से शहरनामा :::

प्रोफेसर.. डॉक्टर.. जो कह लीजिए

वे वयोवृद्ध हैं। गांव से निकल शहर के निवासी बन गए हैं। जीवन के अंतिम पड़ाव में भी शांति नहीं है। नारद जी के रॉल में सुबह से ही इधर-उधर शुरू हो जाते हैं। यदि आपके पास पहुंच गए तो फिर आपको ही ऊबकर बहाना बनाते हुए उन्हें विदा करना पड़ेगा। अन्यथा, चाय से शुरू हुई शिष्टाचार मुलाकात भोजन की थाली तक पहुंच जाएगी। उन्हें प्रोफेसर और डॉक्टर दोनों कहलाना इन्हें बेहद प्रिय लगता है। वित्तरहित कॉलेज से भी जुड़े हैं। शायद लेक्चरर हैं, पर प्रोफेसर कहलाने में गर्व महसूस करते हैं। पीएचडी किए होने के दावे के साथ डॉक्टर भी अपने नाम में वे जोड़ते हैं। अपना जीवन परिचय देने के क्रम में कोई ऐसा विषय नहीं जिनकी डिग्री उनके पास नहीं। नगर के लोग भी अब समझने लगे हैं। लोग साथ रहकर चुटकी भी खूब लेते हैं, लेकिन वे इसे भी सादगीपूर्ण सम्मान की तरह स्वीकार करते हैं।
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मैडम को चाहिए 25 हजार
खाकी वर्दी वाली मैडम नगर के लोगों की सेवा और सुरक्षा में लगी हैं। लॉकडाउन में वेतन ही सहारा है। कोई और जुगाड़ नहीं बन पा रहा है। इधर बात बनते-बनते बिगड़ गई। मारपीट का एक मामला आया। अपने यहां एक प्रचलन है। घर का कोई एक आदमी भी यदि छोटा-बड़ा अपराध करे तो पूरे परिवार, रिश्ते-नाते भी अभियुक्त बनाए जाते हैं। इसके बाद वर्दी वाले का थर्मामीटर चालू हो जाता है। सो मैडम के इलाके में मारपीट की घटना में भी कुछ इसी तरह का केस दर्ज हुआ। अब जो निर्दोष है से निर्दोष बनाने के लिए मोलभाव शुरू हुआ। एक कैमरे वाले भाई को लगाया गया। कैमरे वाले भाई ने पहले अपना जुगाड़ लगाया और 13 हजार रुपये पीड़ित परिवार से ऐंठ लिया। फिर मैडम के लिए 25 हजार की डिमांड की। लेकिन, चूक इतनी बड़ी कर दी कि उसे अपनी कमाई भी पीड़ित को लौटानी पड़ गई।
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शादी की सालगिरह और बधाई
बड़े लोगों का जन्मदिन हो या फिर शादी की सालगिरह। अमूमन बधाई देने वालों की बाढ़ सी लग जाती है। अपने साथ की उनकी पुरानी से लेकर नई तस्वीरें खोजकर लोग सोशल साइट्स पर साझा करने से नहीं चुकते। मकसद शायद बड़े लोग खुश हो और आमलोग भी यह जान ले कि उनकी व्यक्तिगत पहुंच बड़े लोगों तक है। अभी हाल में कप्तान साहब की शादी की सालगिरह थी। जिले के दर्जनों लोगों ने कप्तान साहब के साथ खुद की लगी पूर्व की तस्वीरें फेसबुक पर साझा करके बधाई देना शुरू कर दिया। जिनके पास कप्तान के साथ की तस्वीर नहीं थी वे फेसबुक-गूगल-इंस्टा सर्च करके कप्तान साहब और उनकी मैडम की तस्वीर तलाश करके टैग करके गर्मागर्म बधाई दे डाली। इसके बाद बधाई का सिलसिला शुरू हो गया। इस तरह एक पंथ दो काज। कप्तान भी खुश और अपना कद भी बड़ा, लोगों की तरफ से तारीफ अलग से।
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नेताजी को लग गया चक्कर
नेताजी एक बड़े नेताजी के हमशक्ल हैं। जाने-अनजाने में लोग उन्हें कभी-कभार बड़े नेताजी ही समझ बैठते हैं। नेताजी अपनी शान के साथ अपनी सवारी बाइक से मुख्य सड़क मार्ग होकर अपने गंतव्य की ओर जा रहे थे। शहर के मुख्य सड़क मार्ग पर लॉकडाउन के लिए बने चेक पोस्ट पर पुलिस का कड़ा पहरा था। नेताजी बिना हेलमेट के थे। उनके आगे वाले बाइक सवार भी बिना हेलमेट के थे। पुलिस पदाधिकारी ने उन्हें चलान थमा दिया। प्रतिनियुक्त पुलिस पदाधिकारी से परिचय भी नहीं कि वह नेताजी से कहे ठीक है जाइए। नेताजी का पसीना उतर रहा था। चूंकि कई लोग वहां आसपास में परिचित थे। इस कारण इज्जत डूब जाने का खतरा साफ दिख रहा था। लेकिन, नेताजी भाग्य के धनी निकले। जब तक जांच की बारी आती सामने से थानेदार साहब आ पहुंचे। अब नेताजी के उतरे हुए चेहरे पर मुस्कान छा गई। हाथ हिलाकर निकल पड़े।
Posted By: Jagran
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