शहरनामा :::: मधेपुरा :::

लेडीज सिघम से बच के

लॉकडाउन को लेकर शहर की सुरक्षा के लिए सभी चौक-चौराहे पर पुलिस की तैनाती की गई है। शहर के एक चौक पर महिला पुलिस ने कमान संभाल रखा है। इनके बीच एक महिला पुलिस कर्मी है, जो इस समय काफी चर्चा में है। उसकी अपनी वर्दी और पुलिस रौब को लेकर अब लोग उसे लेडीज सिघम का नाम दे रहे हैं। लेडीज सिघम भी पूरे रौब में रहती हैं। उनकी निगहबानी में क्या मजाल कि कोई दो पहिया वाहन बिना कारण के निकल जाएं। शाम में छह बजे के बाद कोई किराना व्यवसायी उनकी डर से दुकान खुला नहीं रखते। अगर किसी ने दुकान बंद करने में कुछ देर कर दी तो समझो उसके शामत आ गई। पहुंच जाती है डंडा लेकर। आने-जाने वाले वाहन चालक इनसे बच के निकलना चाहते हैं। तभी तो अब लोग कहने लगे हैं बच के रे बाबा, बच के लेडीज सिघम से।
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चेले से चतुर नेता
कोरोना के संक्रमण काल में कई जनप्रतिनिधि अपने-अपने ढंग से लोगों की मदद कर रहे हैं। क्षेत्र के एक नेताजी हैं। अब नेताजी हैं तो उनके साथ उनके चेले-चपाटे भी रहते हैं। एक चेले ने नेताजी से कह दिया कि विपक्ष वाले बहुते चीज फलां गांव में बांट रहे हैं। लोग उनके इस काम की चर्चा भी बड़े जोर-शोर से कर रहे हैं। अगर यह वोट में बदल गया तो आपका मामला बिगड़ जाएगा। आपको भी कुछ गंभीरता से सोचना चाहिए। नेताजी ने बड़ी गंभीरता से चेले की बात सुनी। इसके बाद कहा, अरे अभी कोरोना का खौफ चल रहा है। कल क्या होगा किसे पता। थोड़ा इंतजार कीजिए। वैसे भी अभी बजट गड़बड़ा गया है। बहुते खर्चा बढ़ गया है। थोड़ा समय देख लेते हैं, तब विचार करेंगे। नेताजी की बात सुन कर चेले का चेहरा देखने लायक बन गया, लेकिन कुछ बोले नहीं। हां में हां मिला दिया।
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कोरोना का डर और डाक्टर साहब
डॉक्टर साहब डरे हुए हैं। अस्पताल जाने में भी डर लगता है। कोरोना थोड़े पहचानता है कि डॉक्टर है। कोरोना महामारी शुरू होने के बाद उन्होंने बड़े साहब से पीपीटी कीट की मांग की थी। तब बड़े साहब कहने लगे कोरोना से संबंधित लोगों की जांच करने वाले डॉक्टर को ही यह कीट दिया जाएगा। डॉक्टर साहब मायूस हो गए। अब वे धर्म संकट में पड़ गए कि अस्पताल जाएं या नहीं। अस्पताल तो आए लेकिन काफी डरे-डरे रहते थे। एक दिन एक संदिग्ध मरीज अस्पताल पहुंचा। डॉक्टर साहब अस्पताल में ही थे। जानकारी मिलते ही चुपचाप निकल गए। काफी देर बाद लौटे। पूछने पर कहने लगे कोई जरूरी काम आ गया था, इसलिए चले गए थे। एक दिन अपने साथ से बतिया रहे थे। देखिए न कोरोना फैल रहा है। ऐसे में ड्यूटी मुश्किल हो गई है। क्या करें समझ में नहीं आता है। आना छोड़ भी नहीं सकते।
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नेताजी का गौ प्रेम
वे प्रदेश स्तर के नेताजी हैं। इन दिनों गौ प्रेम अधिक ही उमड़ आया है। कोरोना के कारण कहीं जा नहीं सकते। लोगों से मिल नहीं सकते। घर पर ही रहते हैं। गौ सेवा में ही रम गए हैं। समय भी कट जाता है। सुबह उठकर गौ सेवा में लग जाते हैं। फेसबुक पर फोटो भी अपलोड करते हैं। समय बचता है तो अपने समर्थकों को फोन लगाकर बतियाते हैं। एक दिन एक समर्थक ने पूछ दिया। नेताजी काफी गौ सेवा हो रहा है। नेताजी बोल उठे। गाय की सेवा करेंगे तो ही आगे फायदा होगा। सभी कार्यक्रम बंद है। समय का सदुपयोग कर रहे हैं। उनकी गौ सेवा की चर्चा चर्चा पटना तक पहुंच गई। आलाकमान को भी खबर लगी। एक दिन उन्होंने भी इसकी चर्चा की। फिर क्या था इन्हें और बल मिल गया। नेताजी मन ही मन सोचने लगे चलो इस बहाने तो आलाकमान की नजर पड़ी।
Posted By: Jagran
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