शहरनामा : किशनगंज ::

नेताजी लॉक, जनता डाउन, समर्थक परेशान

लॉकडाउन में नेताजी लॉक हो गए हैं। जनता बेचारी डाउन है। समर्थक परेशान हैं। यह किसी एक नेता, उन्हें वोट करने वाली जनता या उनके समर्थकों की कहानी नहीं। अभी सब धन साढ़े बाइस पसेरी के हिसाब चल रहा है। कमोवेश निर्वाचित से लेकर संभावनाशील सभी नेताओं का हाल एक जैसा बन गया है। कोई राजधानी में फंसे हैं तो कोई घर में रहकर भी बाहर निकलने से परहेज कर रहे हैं। बाहर निकलने वाले भी लॉकडाउन में सोशल डिस्टेंसिग का पालन कर दुआ सलाम से काम चला रहे हैं। लेकिन असल दिक्कत उन समर्थकों की हो रही है जिन्हें क्षेत्र से लोग फोन कर तमाम समस्याएं बता रहे हैं। कहीं किसी को दवा की जरूरत है तो किसी के परिजन दूसरे राज्यों में मुसीबत में हैं। ऐसे में जनता की समस्याएं सुन समर्थक खुद कई समस्याएं गिनाते हुए नेताजी से बात होते ही समाधान का भरोसा दिला रहे हैं।
राशन कार्ड को ले जीविका दीदी कर रहीं सर्वेक्षण यह भी पढ़ें
------
दाल रोटी खाइए
एक तो कोरोना का खौफ दूसरा लॉकडाउन में प्रशासन की सख्ती। घर में बैठे-बैठे करें तो क्या करें? लिहाजा बैठकी न सही फोन पर ही साथी संगत में कुशलक्षेम पूछ कर मन बहलाने की कोशिश हो रही है। ऐसा हर कोई कर रहा है। लोग गाहे-बेगाहे सब्जी या जरूरी सामान के बहाने बाहर का माहौल व मौसम का रूख भांप लेने से गुरेज नहीं करते। सब्जी खरीदने के बहाने परिचितों से मिलकर घर परिवार से लेकर देश विदेश की चर्चा हो जाती है। चर्चा चली तो मास्क और सैनिटाइजर पर भी बात हुई। सब्जी खरीदने के दौरान दो-चार जन इकट्ठा हुए। वे पुराने दिन को याद कर कहने लगे, देखिए जनाब सैनिटाइजर से माहौल को समझना चाहिए। कंपोजिशन पर गौर करिए और कोरोना फ्री गोवा को नजीर मान लीजिए। इतने में जबाब आया, सरकार की पाबंदी के बीच लॉकडाउन की सख्ती में बस दाल रोटी खाइए, प्रभु का गुण गाइए।

-----
साढ़े तीन बजे जरूर मिलना
कुछ साल पहले भोजपुरी का एक गाना बड़ा हिट हुआ था- साढ़े तीन बजे मुन्नी जरूर मिलना..। वैसे भी बिहार और पूर्वांचल में भोजपुरी गानों की बड़ी मांग है। अभी कोरोना काल में इस गाने को मॉडिफाई किया गया है। मुन्नी की जगह मुन्ना कर दिया गया है और बोल हो गए हैं- साढ़े तीन बजे 'मुन्ना' जरूर मिलना..। दरअसल संक्रमण से जिले को बचाने के लिए प्रशासन द्वारा शहर से गलबहियां करती बंगाल सीमा को पूरी तरह सील कर दिया गया है। पॉकेट रोड व लूप प्वाइंट पर भी पहरा है। शराबबंदी के बाद बिहार का स्वर्ग कहे जाने वाले किशनगंज में अभी लोगों की दिक्कतें बढ़ गई। अब सुरक्षकर्मियों के सुस्ताने-अलसाने के समय में यानी सुबह तीन-साढ़े तीन बजे सेवा शुरू होने की भनक लोगों को मिली। जुगाड़ ढूंढ़ने वाले डिलीवरी ब्वॉय को याद दिलाने के लिए साढ़े तीन बजे मुन्ना जरूर मिलना का कोड इस्तेमाल करने लगे।
-----
चेहरा चमकाना हो तो इनर्जी बचाइए
सोशल डिस्टेंसिग को लेकर प्रशासनिक सख्ती के बाद राहत बांटने की होड़ अब थम गई है। राशन व खाद्यान्न बंटवाने का बीड़ा प्रशासन ने खुद उठा लिया है। ऐसे में चेहरा चमकाने की चिता भी लोगों को सताने लगी है। प्रशासन के मास्टर स्ट्रोक से हिले समाजसेवियों के लिए धर्मसंकट वाली स्थिति है। फोटो-वीडियो तो दूर हुआ, अगर खाद्यान्न प्रशासन की मदद से बंटवाया तो संबंधित लोगों तक मैसेज पहुंच नहीं पाएगा। यानी घी के गोबर में डालने जैसी बात हो जाएगी। यहां तो जरूरत है खुद का चेहरा चमकाने की, जिसके कई मायने भी हैं। लिहाजा अब हर कोई एक दूसरे को फोन कर इस समस्या का तोड़ ढूंढ़ रहा है। एक नया आइडिया डेवलप किया गया है, फिलहाल जो उछल-कूद करते हैं उसे और प्रोत्साहित करिए। बाकी अपना चेहरा चमकाना हो तो एनर्जी बचाकर रखिए। लॉकडाउन खत्म होते ही राहत वितरण भी हो जाएगा और अपना काम भी।
Posted By: Jagran
डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस

अन्य समाचार