बाहर न खेल पाने और नए खिलौने नहीं मिलने से बच्चे हो रहे चिड़चिड़े

लॉकडाउन के दौरान लगातार घर में रहने से बच्चे चिड़चिड़े हो गए हैं। घर से बाहर नहीं निकलने, पसंद का बाहर का खाना और खिलौने न मिलने के कारण उनमें यह बदलाव आ रहा है। 10 वर्ष तक के बच्चों में इस तरह की समस्या ज्यादा सामने आ रही है। बड़े बच्चों में पढ़ाई की चिंता भी एक वजह है। गट शी फाउंडेशन के सोशल मीडिया सर्वे में यह बात सामने आई है। देशभर की 38 हजार महिलाओं ने इस प्लेटफार्म पर अपने बच्चों से जुड़े अनुभव साझा किए, जिसके आधार पर यह नतीजे सामने आए हैं।

छोटे बच्चे बाहर न जाने से तो बड़े पढ़ाई के लिए चिंतित रिपोर्ट के मुताबिक 10 साल तक के बच्चे बाहर खेलने नहीं जा पा रहे। जंक फूड और नए गिफ्ट जैसे खिलौने, कपड़े आदि नहीं मिलने से बच्चे चिड़चिड़े हो गए हैं। वहीं बड़े बच्चे पढ़ाई, कोचिंग आदि में आई रुकावट की वजह से तनावग्रस्त हैं।
50 हजार बच्चों पर स्टडी फाउंडेशन से सोशल मीडिया के जरिए करीब 38 हजार महिलाएं जुड़ी हैं। इस प्लेटफार्म पर महिलाएं बच्चों के साथ अपने अनुभव, परेशानियां और समाधान साझा करतीं हैं। महिलाओं के परिवार में करीब 50 हजार से अधिक बच्चे हैं। लॉकडाउन में महिलाओं द्वारा साझा किए अनुभव के आधार पर एक बात सामने आई कि बच्चे घर से बाहर नहीं जा पा रहे इस वजह से उनके स्वभाव में बदलाव देखा जा रहा है।
टास्क से बच्चों के स्वभाव में आया बदलाव फाउंडेशन की संस्थापक निशा पांडेय ने जब स्टडी की तो सामने आया कि जिस घर में एक से अधिक बच्चे हैं, वहां अधिक झगड़े हो रहे हैं और बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं। इसके बाद उन्होंने मनोवैज्ञानिक दीपिका जैन और अन्य महिलाओं से परामर्श किया। बच्चों और उनके माता-पिता को उम्र व पसंद के हिसाब से ऑनलाइन टास्क जैसे पेंटिंग, वीडियो बनाना, फोटोग्राफी, रेसिपी बनाना दिया गया। माता-पिता को कहा गया कि बच्चों के टास्क में शामिल हों। इससे बच्चों के स्वभाव में बदलाव देखने को मिले, बच्चों की एकाग्रता बढ़ी।
लॉकडाउन के दौरान बच्चों की दिनचर्चा नियमित करें। टाइम टेबल के हिसाब से पढ़ने, खेलने और उनकी रुचि के हिसाब से काम दें। परिजन पुराने शेड्यूल के मुताबिक ही पढ़ाई की सलाह दें। डॉ. ओमप्रकाश, असोसिएट प्रोफसर, इहबास
लॉकडाउन बढ़ा रहा तनाव तो फ्री हेल्थ हेल्पलाइन नंबर है न, जानें नंबर
लॉकडाउन में बच्चों का स्वभाव झगड़ा, चिड़चिड़ापन, कम बोलना, अधिक सोना, पेट में दर्द आदि
टास्क के बाद बदलाव एकाग्रता, रुचि बढ़ी, चिड़चिड़ापन कम हुआ
माता-पिता क्या करें डांटे नहीं, समझाएं, छोटी गतिविधियों में व्यस्त रखें, हौसलाफजाई करें। फोन पर दोस्तों से बात करवाएं।
यह भी कर सकते हैं बच्चों के साथ घर में मौजूद सीमित साधनों से रोजाना नई एक्टिविटी करें। डांस जैसी गतिविधि को प्राथमिकता दें। नई रेसिपी बनाएं, फोटो, वीडियो, सेल्फी आदि लें।
लॉकडाउन के तनाव से घरों में अशांति लॉकडाउन अब तनाव की वजह भी बन रहा है। इसकी वजह से घरों में शांति खत्म होती जा रही है। गाजियाबाद में 24 घंटे के दौरान ऐसी तीन घटनाएं आईं हैं, जिनकी वजह लॉकडाउन से उपजे तनाव को माना जा सकता है। पिता की डांट से नाराज किशोर ने छोड़ दिया, वहीं दूसरे मामले में इंजीनियर पत्नी ने खाना बनाने से मना किया तो पति ने उसकी पिटाई कर दी।
लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई ही विकल्प, पर यह सेहत के लिए ठीक नहीं
पिता ने डांटा से नाराज किशोर ने घर छोड़ा बिहारीपुरा में रहने वाला किशोर पिता की डांट से नाराज होकर घर छोड़कर चला गया। लॉकडाउन की वजह से बाहर निकलने पर पिता डांटते थे। रविवार रात साढ़े 10 बजे चुपचाप घर से निकल गया।
खाना बनाने में मना करने पर पत्नी को पीटा वर्क फ्रॉम होम कर रही सॉफ्टवेयर इंजीनियर के साथ उसके पति ने सिर्फ इसलिए मारपीट कर दी क्योंकि वह खाना बनाने से मना कर रही थी। महिला ने पति के खिलाफ महिला थाने में केस दर्ज कराया है।
दिनचर्या प्रभावित होने से तनाव बढ़ा मनोचिकित्सक डॉ. साकेतनाथ तिवारी ने बताया कि लॉकडाउन से लोगों की दिनचर्या प्रभावित हुई है। जो लोग आमतौर पर बाहर घूमते थे, उन्हें घरों में रहना पड़ रहा है। इससे मानसिक तनाव की स्थिति बन रही है। उन्होंने बताया कि इस समय आ रहे सभी मरीजों में लगभग समान लक्षण नजर आ रहे हैं।
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