आखिर कहां चला जाता है गोदाम से अनाज

सत्तरकटैया और महिषी एसएफसी गोदाम में गेहूं और चावल के असमान स्टॉक की पुष्टि होने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों की नींद उड़ गई है। मंगलवार को सत्तरकटैया के खोनहा स्थित गोदाम को सील कर दिया गया। और डीएम के निर्देश पर डीडीसी ने नवहट्टा गोदाम की जांच के बाद अपना प्रतिवेदन समर्पित कर दिया है। वर्तमान में नवहट्टा एसएफसी गोदाम के प्रबंधक के रूप में नवीन रजक कार्यरत है। इस माह के प्रथम सप्ताह तक महिषी और सत्तरकटैया गोदाम का प्रभार भी उनके जिम्मे ही था। प्रभार के बाद दोनो गोदाम के वर्तमान सहायक प्रबंधक ने स्टॉक में गड़बड़ी की संभावना जताते हुए मुख्यालय को शिकायत की। डीएम कौशल कुमार ने त्वरित जांच का आदेश दिया। जांच प्रतिवेदन के आधार पर अगली कार्रवाई भी चल रही है। परंतु, आमलोगों के जुबान पर यह सवाल है कि आखिर एसएफसी गोदाम से खाद्यान्न कहां और किसकी मिलीभगत से निकल जाता है। यह खेल कितने दिनों से चल रहा है। अगर पहले इसकी जांच हुई होती, तो शायद पहले ही राशन गायब करनेवाले लोग नंगा हो सकते थे। राशन के आदान- प्रदान पर निगरानी क्यों नहीं रखी जा रही थी। क्या जानबूझकर मछली की पहरेदारी के लिए बिल्ली को बैठाया गया था, या जिला के वरीय अधिकारियों की नजर से सबकुछ ओझल था।


सूत्र बताते हैं कि इसी गोरखधंधा को अंजाम देने के लिए कुछ सहायक प्रबंधक पैसे और पैरवी के बलपर वर्षों से कई गोदाम पर कुंडली मारकर बैठे हैं। ताकि इधर का माल उधर करने के धंधे की और लोगों को जानकारी नहीं मिल सके। सवाल उठता है कि कुंडली मारकर बैठे इनलोगों पर वरीय अधिकारियों की नजर अबतक क्यों नहीं गई? जानकार लोगों का कहना है कि गरीबों के खाद्यान्न पर वर्षों से डाका मारकर कुछ लोग मालामाल हो रहे है। इस कार्य में एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है। दो गोदाम में असमान स्टॉक मिलने के बाद जिले के सभी गोदामों के स्टॉकपंजी और स्टॉक का भौतिक सत्यापन किए जाने की आवश्यकता महसूस हो रही है। इस मामले में उच्चस्तरीय जांच के बाद ही रहस्य से पर्दा उठ सकता है। राशन की हेराफेरी सामने आने पर डीएम की अगली कार्रवाई पर लोगों की निगाहें टिकी हुई है।
Posted By: Jagran
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