मैट्रिक परीक्षार्थियों का लटका भविष्य

सहरसा। लॉकडाउन के कारण ही मैट्रिक परीक्षार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। फरवरी माह में ही परीक्षा होने के बाद भी अब तक रिजल्ट नहीं निकला है। कहा जा रहा है कि मैट्रिक परीक्षार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं की जांच ही पूरी नहीं हो पाई है। मैट्रिक परीक्षा के बाद उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य 5 मार्च से 17 मार्च निर्धारित किया गया था। पूरे बिहार में उत्तरपुस्तिकाओं की जांच निर्धारित तिथि पर शुरू नहीं हो पायी क्योंकि ऐन वक्त से पहले ही नियोजित शिक्षकों की हड़ताल 17 फरवरी से ही शुरू हो गई थी। पूरे बिहार में शिक्षकों के हड़ताल पर चले जाने से उत्तरपुस्तिका की जांच का मामला ठंडा पड़ गया। लेकिन राज्य सरकार ने हड़ताली शिक्षकों से समझौता किए बगैर ही वित्तरहित शिक्षकों की उत्तरपुस्तिका के मूल्यांकन कार्य में लगाया और मूल्यांकन कार्य की तिथि 25 मार्च तक बढ़ा दी गई। 22 मार्च को जनता क‌र्फ्यू लगा दिया गया। इसके बाद लॉकडाउन हो गया। सहरसा में भी मैट्रिक परीक्षा की उत्तरपुस्तिका की जांच के लिए तीन मूल्यांकन केंद्र बनाए गए थे। जिसमें जिला स्कूल, मनोहर हाई स्कूल एवं ग‌र्ल्स हाई स्कूल शामिल है। उत्तरपुस्तिका की जांच 21 मार्च तक ही हो पायी थी। तब तक लॉकडाउन लग गया। सहरसा में सब विषयों की उत्तरपुस्तिका की जांच पूरी हो चुकी है। सिर्फ अंग्रेजी विषय की जांच नहीं हो पायी है। जिस कारण पूरा परिणाम फंसा हुआ है। ग‌र्ल्स हाई स्कूल के प्राचार्य सह मूल्यांकन केन्द्र अधीक्षक अशोक कुमार ने बताया कि मूल्यांकन कार्य के दौरान ही लॉकडाउन हो गया और जांच पूरी नहीं हो पायी है। मैट्रिक परीक्षार्थी रश्मि, ममता, प्रिया कहती है कि इस बार का परिणाम तो भगवान भरोसे ही है। एक तो उत्तरपुस्तिकाओं की जांच वित्त रहित शिक्षकों से मूल्यांकन कार्य करवाया गया है। अप्रैल माह पूरा बीत गया लेकिन अब तक परिणाम नहीं निकला है। सरकार को चाहिए कि कम से कम लॉकडाउन में शिक्षकों को कॉपी जांचने की अनुमति देकर कॉपी जांची जाए।

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कोट
मूल्यांकन कार्य की अवधि बढाई गई। लेकिन लॉकडाउन लगने के कारण मूल्यांकन कार्य बाधित हो गया। अधिकांश उत्तरपुस्तिका की जांच पूरी कर ली गयी थी। दो चार दिन और कार्य शेष था कि लॉकडाउन हो गया।
जय शंकर प्रसाद ठाकुर, जिला शिक्षा पदाधिकारी।
Posted By: Jagran
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