अर्थव्यवस्था में बढ़ेगी गांवों की हिस्सेदारी

सहरसा। कोरोना संक्रमण काल में देश में औद्योगिक और आर्थिक मंदी का दौर प्रारंभ हो गया है। आर्थिक मंदी का सीधा असर रोजगार पर पड़ेगा। बड़ी संख्या में लोगों का रोजगार छीने जाने की संभावना बन गई है। दूसरे प्रदेश में रोजी के लिए भटकने वाले मजदूरों का भी लॉकडाउन के कारण हुई परेशानी के कारण बाहर के काम से मोहभंग हो गया है। ऐसे में शहरीकरण की रफ्तार कम होने और गांवों में रोजगार तलाशे जाने की संभावना बढ़ी है। ऐसे में कृषि जैसे परंपरागत पेशे के साथ- साथ गांवों में मुर्गी पालन, मत्स्यपालन, बागवानी मिशन, मशरूम, आंवला, तिल, औषधीय खेती और कोसी दियारा में फल, सब्जी, दलहन आदि की खेती बढ़ने की संभावना बनी है। हालांकि इस इलाके में पूर्व से भी कई योजनाएं चलाई जा रही है, परंतु इलाके के कृषक इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं। अब जब बाहर से लोग गांव वापस आने लगे हैं। इन योजनाओं के माध्यम से रोजगार के अवसर तलाशे जाएंगे। कोसी क्षेत्र में सहकारिता विभाग द्वारा आइसीडीपी योजना से मक्का- मखाना प्रसंस्करण उद्योग आदि स्थापित किए जाने की योजना भी लंबित है। आनेवाले दिनों में अगर इन योजनाओं को कार्यरूप दिया जाएगा, तो रोजी के लिए पलायन कर रहे लोगों को स्थानीय स्तर पर भी काफी रोजगार का अवसर मिल सकता है। उम्मीद है कि कृषि, सहकारिता, मत्स्य, पशुपालन आदि विभागों द्वारा इन योजनाओं को कार्यरूप देने के लिए शीघ्र ही ठोस योजना बनाई जाएगी।

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Posted By: Jagran
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