प्राचीन समय के इन नियमों को मान लेंगे तो सुखद बन जाएगी आपकी सेक्सुअल लाइफ

नई दिल्ली। शारीरिक संबंध बनाना लोगों की जरुरत में शुमार है। ये सेहत के साथ साथ वैवाहिक रिश्ते को भी मजबूत बनाता है। आज के दौर को भले ही कितना भी मॉडर्न कह लिया जाए मगर वो सेक्स के मुद्दे पर खुलकर बात करने से कतराते हैं। जानकारी के अभाव के कारण ही लोगों की सेक्सुअल लाइफ में तरह तरह की दिक्कतें आती हैं। हर दूसरा शख्स अपनी सेक्स लाइफ को लेकर परेशान है। वहीं देखा जाए तो प्राचीन समय में शारीरिक संबंध बनाने की प्रक्रिया को काफी पवित्र समझा जाता था। उस समय के लोग ज्यादा खुले विचारों के थे और सेक्स से जुड़ी हर समस्या पर बेझिझक बात करते थे। गौरतलब है कि सेक्स जैसे विषय पर पहला ग्रंथ 'कामसूत्र' भारत की देन है जिसे दूसरी सदी में आचार्य वात्स्यायन ने लिखा था। सहवास केवल कामवासना की संतुष्टि के लिए नहीं किया जाता था। इसके साथ जुड़े कड़े अनुशासन का लोग पालन करते थे। जी हां, प्राचीन समय में पति पत्नी सेक्स के समय कई नियमों का पालन किया करते थे जिससे वे किसी भी तरह के रोग और आपदा से बचे रहते थे। जानते हैं प्राचीन समय में लोग सेक्स के समय किस तरह के अनुशासन और नियमों का पालन किया करते थे जो आज भी आपको ध्यान में रखने चाहिए। प्राचीन काल में अपने पति या पत्नी के अलावा किसी अन्य के साथ शारीरिक संबंध बनाने की पूर्ण मनाही थी। इसे अनैतिक कार्य माना जाता था। इस नियम का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को जिंदगी भर पछताना पड़ता था। प्राचीन समय में स्थान को लेकर भी कुछ नियम माने जाते थे। श्मशान घाट, पवित्र वृक्षों, गुरुकुल, अस्पताल, पवित्र और धार्मिक स्थान आदि जगहों पर शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। इस नियम का पालन न करने से व्यक्ति रोगों से घिर जाता है। प्राचीन समय से ही ये माना गया है कि महिला के पीरियड्स के दौरान शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए अन्यथा पुरुष किसी रोग से परेशान हो सकता है। मासिक धर्म शुरू होने के पहले चार दिन तो इसका ख्याल बिल्कुल भी मन में न लाएं। पीरियड्स शुरू होने के पांचवे, छठे, चौदहवें और सोलहवें दिन संबंध बनाना उचित रहता है। शारीरिक संबंध बनाने से पहले तैयारी भी की जाती थी। महिला और पुरुष दोनों अपने जननांगों को अच्छी तरह साफ़ करते थे। इसके लिए वो सेक्स से पहले स्नान करना उचित समझते थे। ऐसी सलाह दी जाती है कि स्त्री और पुरुष दोनों को ही पूरी तरह नग्न अवस्था में शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। उन्हें खुद अपने शरीर पर चादर या कोई वस्त्र जरूर रखना चाहिए। इसके पीछे कारण ये दिया जाता है कि किसी आपदा या फिर दोनों में से किसी एक की आकस्मात मृत्यु हो जाने पर शरीर बिना कपड़ों के नहीं होगा। पुराने समय में पुरुष तथा महिला दोनों के लिए कामशास्त्र का ज्ञान होना जरुरी माना जाता था। आचार्य वात्स्यायन के अनुसार कामशात्र की जानकारी होने से पति पत्नी के बीच सेक्स लाइफ अच्छी रहती है जो उनके वैवाहिक जीवन को सुखद बनाती है। दंपत्ति को उस दौरान सेक्स करने से बचना चाहिए जब महिला गर्भवती हो अन्यथा संतान के अपंग पैदा होने का खतरा रहता है। सुबह-शाम पूजा के समय तथा दिन के समय में स्त्री और पुरुष को संभोग से बचना चाहिए और इसका जिक्र बह्म वैवर्त पुराण में मिलता है। सूर्यास्त, सूर्योदय, ग्रहण, निधन, श्रावस माह, श्राद्ध, अमावस्या, नक्षत्र, भद्रा, दिवाकाल में भी शारीरिक रिश्ता नहीं बनाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति द्वारा कमाए गए पुण्यों का नाश होता है। शारीरिक संबंध बनाने के लिए सबसे उपयुक्त समय को लेकर हमेशा ही चर्चा होती रही है। वहीं प्राचीन नियमों के अनुसार रात के पहले प्रहर में संभोग करने को बेहतर बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि आधी रात में बनाया गया संबंध चंडाल का होता है और इससे पैदा हुई संतान राक्षसी प्रवृत्ति का हो सकता है। पुराने समय में पार्टनर की इच्छा और सहमति को महत्व दिया जाता था। यदि पार्टनर का सेक्स करने का मन नहीं है अथवा वो उदास महसूस कर रहा है तो ऐसी स्थिति में किसी भी तरह की जबरदस्ती अपराध माना गया है।

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